भूत प्रेत होता नहीं, होता है मन रोग।
पं रामजस त्रिपाठी नारायण
भूत प्रेत होता नहीं, होता है मन रोग।
मनोचिकित्सक खोजिए, मिट जाए भव भोग।।
मन के रोगों से ग्रसित, यह सारा संसार।
झाड़ फूंक उपचार नहिं, योग दवा उपचार।।
हानि लाभ जीवन मरन, विधि का सहज विधान।
जैसा जिसका कर्म हो, वैसा बने जहान।।
माथा टेके यदि सुघर, हो जाए संसार।
तो समझो संसार से, मिटे कर्म व्यवहार।।
कर्म छोड़ संसार में, किसको मिला मुकाम।
कर्म साधना कर सखे, भज कर सीता राम।।
पं रामजस त्रिपाठी नारायण
नारायण साहित्य शाला