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चेतना की परंपरा को ऋषियों ने लिखा-प्रोफ़ेसर सुभाष काक, यूएसए

डीके श्रीवास्तव

आगरा। दयालबाग शिक्षण संस्थान के संस्कृत विभाग द्वारा आयोजित द्विदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का प्रारंभ 7 फरवरी 2023 को प्रातः 4:30 से मल्टीमीडिया में हुआ जिसमें
समन्वयिका प्रो अगम कुलश्रेष्ठ, विभागाध्यक्ष, संस्कृत विभाग ने उद्घाटन वक्तव्य दिया। संस्थान के निदेशक प्रो.प्रेमकुमार कालड़ा ने डीईआई की मूल्य आधारित शिक्षा प्रणाली के विषय में बताया। सारस्वत अतिथि के रूप में प्रोफेसर पी. श्रीराम मूर्ति एमिरेट्स प्रोफेसर थियोलॉजी,डीईआई ने शब्द चेतना के विषय में बताया कि सृष्टि से पहले, चैतन्य केवल उन्मुनि अवस्था में अस्तित्व में था, अर्थात् आत्म-अवशोषण की स्थिति में। परम पुरुष पूरन धनी
स्वामीजी महाराज ने प्रकट किया था कि शब्द ने संपूर्ण त्रिलोकी की रचना की:
शब्द ने रचि त्रिलोकी सारी
शब्द से माया फैली भारी आदि
अनाहद-नाद या ध्वन्यात्मक शब्द सृष्टि के विभिन्न स्तरों पर स्वयं-गूंजने वाली ध्वनियाँ है।

स्टिलवॉटर में ओक्लाहोमा स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रो सुभाष काक ने यौगिक परंपरा में ध्वनि और चेतना पर प्रकाश डाला। साथ ही पश्चिमी देशों में कोविड-19 की उत्पादक क्षमता 10 गुना अधिक है क्योंकि वहां आयुर्वेद नहीं है वहां एलोपैथी है। चेतना की परंपरा को ऋषियों ने लिखा और हमने स्वयं में शिवत्व को समझा।
आईआईटी खड़गपुर के वास्तुकला विभाग के प्रोफेसर जॉय सेन ने स्पंदन के सिद्धांत को समझाया जो सभी विज्ञानों और धर्मों को आपस में जोड़ता है।
उद्घाटन सत्र का संचालन संयोजकद्वय डॉ निशीथ गौड़ एवं डॉ रुबीना सक्सेना ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डाॅ धर्मपाल सत्संगी एसोसिएट प्रेसिडेंट, दयालबाग सत्संग सभा ने किया l शोध पत्र वाचन के प्रथम सत्र में सत्राध्यक्ष के रूप में जगन्नाथ संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के प्रो. प्रियव्रत मिश्र जी की उपस्थिति रही,महोदय ने संस्कृत व्याकरण में शब्द चेतना विषय को वैयाकरणों की दृष्टि से स्पष्ट किया,सत्रीय वक्ता गुरुकुल कांगड़ी हरिद्वार से प्रो. धर्मेन्द्र कुमार जी का सान्निध्य मिला, महोदय ने वैदिक उद्धरणों के माध्यम से वेदों मे चेतना विषय को स्पष्ट किया तथा सह सत्राध्यक्ष प्रो. मीरा शर्मा, एमेरिटस प्रोफेसर डी.ई.आई. का सान्निध्य प्राप्त हुआ, और सारस्वत अतिथि पद को कला संकायाध्यक्षा प्रो. शर्मिला सक्सैना जी अलंकृत कर रहीं थीं | वैदिक धर्म में शब्द चेतना विषयक सत्र में 7 शोध पत्रों का वाचन किया गया तथा 17 प्रतिभागियों ने प्रतिभागिता की| सत्र संचालन डॉ पूजा, संस्कृत विभाग द्वारा किया गया। द्वितीय सत्र में शैव वैष्णव शाक्त एवं आर्ष महाकाव्यों में चेतना विषय पर चर्चा -परिचर्चा की गई। जिसमें प्रोफेसर सी उपेंद्र राव जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली ने शब्द चेतना के विषय में बताया। प्रोफेसर भागीरथी नंदा, श्री लाल बहादुर शास्त्री केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली, मुख्य वक्ता रहे एवं आरबीएस कॉलेज आगरा के प्राचार्य प्रो विजय श्रीवास्तव, विशिष्ट अतिथि ने पंचकोश के विषय में बताया और शब्द ब्रह्म से परब्रह्म की स्थिति का वर्णन किया। इस अवसर पर प्रोफेसर आनंद मोहन, कुलसचिव, श्रीमती स्नेह बिजलानी कोषाध्यक्ष, प्रोफेसर दया, प्रोफेसर मीरा शर्मा, डॉ अनीता डॉ शोभा, डॉ इंदु आदि उपस्थित रहे।

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