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पोस्टर, पम्फलेट, बैज, गाइड बुक और टैटू से जागरूक करेंगे टीबी चैंपियन

गोरखपुर, वरिष्ठ संवाददाता। टीबी के प्रति जागरूकता लाने के साथ ही व्याप्त भेदभाव और...

टीबी के प्रति जागरूकता लाने के साथ ही व्याप्त भेदभाव और भ्रांतियों को दूर करने की अलख जगायेंगे टीबी चैम्पियन। इसके लिए वह पोस्टर, पंपलेट, बैज और टैटू का सहारा लेंगे। इस संबंध में गोरखपुर और सिद्धार्थनगर जिले के 24 टीबी चैंपियन को ट्रेंड कर उन्हें जागरूकता के उपकरण मुहैया कराए गए।

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. रामेश्वर मिश्र ने बताया कि जिले के 12 टीबी चैंपियन ने मार्च तक 656 टीबी मरीजों के घर पहुंच कर उन्हें हौसला प्रदान किया। मई तक 18 सामुदायिक बैठकें की व पांच एंटी स्टिग्मा कैंपेन भी चलाए।

उन्होंने बताया कि टीबी मरीजों को प्रेरित करे कि वह बीच में दवा न बंद करें। दवा बंद करने से टीबी बिगड़ सकती है यानि एमडीआर का रूप ले लेती है और कई बार एक्सडीआर टीबी भी बन जाती है जिसमें जटिलताएं बढ़ जाती हैं। टीबी की दवा तब तक खानी है जब तक कि चिकित्सक द्वारा बंद करने की सलाह न दी जाए। इसी प्रकार मरीज के प्रत्येक निकटवर्ती व्यक्ति की टीबी जांच आवश्यक है।

आईईसी से देंगे ऐसे संदेश

-टीबी एक संक्रामक रोग है जो बैक्टीरिया के कारण होता है और इसका पूरी तरह से इलाज संभव है।

- बालों और नाखूनों को छोड़ कर टीबी शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है।

- फेफड़ों की टीबी को पल्मोनरी, जबकि शरीर के अन्य अंगों की टीबी को एक्स्ट्रा पल्मोनरी कहते हैं।

- केवल फेफड़े की टीबी ही संक्रामक है।

-जब टीबी ग्रसित व्यक्ति असुरक्षित तरीके से खांसता या बोलता है तो हवा के माध्यम से दूसरे को संक्रमण होता है।

लक्षण दिखे तो कराएं जांच

डॉ. मिश्र ने बताया कि अगर लगातार दो हफ्ते से खांसी आए, बलगम में खून आए, रात में बुखार के साथ पसीना आए, तेजी से वजन घट रहा हो, भूख न लगे तो नजदीकी डीएमसी या टीयू पर टीबी जांच निःशुल्क करवा सकते हैं। अगर जांच में टीबी की पुष्टि हो तो पूरी तरह ठीक होने तक इलाज चलाना है।

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