नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की
डॉ दीपिका उपाध्याय
आगरा। 'प्रत्येक युग में भगवान का अवतरण दुष्टों के नाश तथा धर्म की रक्षा के लिए होता है। यह भी ईश्वर की माया है कि जिसे संपूर्ण जगत सामान्य जीव या सामान्य मनुष्य समझता है, भक्तों को उसी में भगवान अपना रूप दिखा देते हैं। भगवान के दर्शन सहज नहीं हैं। जाने कितने जन्मों के पुण्य फलीभूत होते हैं तब कहीं जाकर भगवान अपनी लीला का माध्यम किसी मनुष्य को बनाते हैं।'
श्रीगोपालजी धाम, दयालबाग में चल रही भागवत कथा में अवतारों का वर्णन करते हुए उक्त प्रवचन कथावाचक डॉ दीपिका उपाध्याय ने कहे।
गुरुदीपिका योगक्षेम फाउंडेशन द्वारा आयोजित कथा का आज चौथा दिन था। मत्स्य अवतार की कथा सुनाते हुए कथावाचक ने बताया कि राजा सत्यव्रत को माध्यम बनाकर भगवान ने पुनः सृष्टि की। यही राजा सत्यव्रत भगवान की कृपा पाकर अगले जन्म में श्राद्धदेव मनु हुए।
राजा अम्बरीश का प्रसंग सुनाते हुए कथावाचक ने बताया कि किस प्रकार भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति ने ऋषि दुर्वासा के क्रोध से राजा की रक्षा की। सुदर्शन चक्र ने ऋषि द्वारा उत्पन्न कृत्या को जला दिया और दुर्वासा ऋषि को जलाने के लिए तैयार हो गया। तब राजा अम्बरीश ने ऋषि दुर्वासा को इस विपत्ति से निकाला। यह बताता है कि भक्तों की रक्षा करने के लिए भगवान किसी भी सीमा तक जा सकते हैं।
आगे सगर चरित्र का वर्णन करते हुए कथावाचक ने बताया कि जिस प्रकार तूफानी रात के बाद आकाश निर्मल हो जाता है तथा सुंदर नक्षत्रों का उदय होता है, उसी प्रकार मर्मान्तक पीड़ा के बाद ही शुभ तथा अक्षय कल्याण की प्राप्ति होती है। यही कारण था कि साठ हजार पुत्रों के जल जाने के बाद भी आज गंगावतरण की लीला राजा सगर के पुण्य उल्लेख के बिना पूर्ण नहीं होती। पुत्रों के नष्ट होने की मर्मान्तक पीड़ा के बाद उनके वंशज भगीरथ गंगा को धरती पर लाए। मां गंगा के अवतरण के पावन कथा पापों का नाश करती है।
इसके उपरांत कथावाचक ने सूर्यवंशी भगवान श्री राम के दिव्य अवतरण की कथा सुनाई कि किस प्रकार भगवान ने रावण के अत्याचारों से जगत की रक्षा की।
चंद्र वंश की कथा सुनाते हुए कथावाचक ने बताया कि जब द्वापर युग में असुरों के अत्याचार बढ़ गए तब भगवान श्री हरि अवतरित हुए। कारागार में जन्म लेकर वे गोकुल पहुंचे।
जैसे ही कथावाचक ने भगवान के गोकुल आगमन की कथा सुनाई, कथा स्थल पर भगवान के जयकारे लगने लगे। कृष्ण जन्म की प्रसन्नता से सभी भावविभोर होकर नृत्य करने लगे। कृष्ण जन्म की बधाइयां गाकर सबने नंद बाबा के द्वार पर प्रेम उपहार पाए। पूरे कथा स्थल पर नृत्य गायन का वह वातावरण बन गया कि मानो द्वापर युग साकार हो गया हो। फाउंडेशन के निदेशक रवि शर्मा ने बताया कि कल भगवान की बाल लीलाओं के साथ गोवर्धन धारण की कथा सुनाई जाएगी। इस अवसर पर ओपी शर्मा, वीरकिशोर गुप्ता, संतोष तिवारी, पवित्रा, गुंजन, ममता, विनीता, वीना, सुशीला शर्मा, दीपा लश्करी आदि उपस्थित रहे।