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अभिमान से होता है सर्वनाश और पूर्ण समर्पण से मिलते हैं श्रीकृष्ण

डॉ दीपिका उपाध्याय

आगरा।  'भगवान श्रीकृष्ण का जीवन लोक कल्याण का संदेश देता है। अभिमान से कितनी बड़ी हानि हो सकती है इसका प्रमाण है महाभारत का युद्ध और यदुकुल का संहार। भगवान श्रीकृष्ण सर्वशक्तिमान होकर भी इन दोनों भयानक युद्ध को नहीं रोकते क्योंकि उन्हें अहंकारी प्रिय नहीं।' श्रीगोपालजी धाम, दयालबाग में सातवें दिन कथा को विश्राम देते हुए कथावाचक डॉ दीपिका उपाध्याय ने उक्त प्रवचन कहे।
गुरुदीपिका योगक्षेम फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस कथा में राजा नृग की कथा सुनाते हुए कथावाचक ने बताया कि स्वयं दान की हुई वस्तु को भूलवश पुनः दान करने के कारण ही इक्ष्वाकु वंश के प्रतापी राजा नृग को गिरगिट की योनि में आना पड़ा।
 आगे कथावाचक ने जरासंध उद्धार, शिशुपाल, दंतवक्त्र आदि अभिमानी राजाओं की सद्गति का वर्णन किया।
 सुदामा चरित्र में उन्होंने भगवान का अपने भक्तों के प्रति अपार वात्सल्य का वर्णन करते हुए बताया कि जो जितना त्यागी है, उसे भगवान उतना ही ऐश्वर्य देते हैं क्योंकि यही उनकी परीक्षा है।
 राजा युधिष्ठिर से संवाद में भगवान श्रीकृष्ण स्वयं कहते हैं कि पहले अपने भक्तों को निर्धन कर देते हैं जिससे वह सब त्याग कर सदा उनका नाम भजें और मोह माया के बंधन से छूट जायें।
 आगे कथावाचक ने यदुवंश को ब्राह्मणों द्वारा मिले शाप तथा अवधूतोपाख्यान का वर्णन किया। तत्वदर्शी ऋषियों द्वारा यदुकुल के यदुवंशी राजकुमारों को दिया गया शाप यह बताता है कि संपूर्ण सृष्टि में भगवान की इच्छा के बिना पत्ता भी नहीं हिलता। भगवान के स्वधामगमन की कथा सुनते हुए भक्त भावुक हो गए।
 फाउंडेशन के निदेशक रवि शर्मा ने बताया कि कल पाठ की पूर्णता के अवसर पर गीता पाठ होगा। इस अवसर पर मंजु बवेजा, वीर किशोर गुप्ता, दिनेश शर्मा, श्यामसुंदर बवेजा, अनुज गुप्ता, संतोष तिवारी, ममता गौतम, विनीता, पवित्रा, गुंजन, सिम्मी, सुशीला शर्मा, दीपा लश्करी, शांति, वीना, कांता, निष्ठा आदि उपस्थित रहे।

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