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मिशन इंद्र धनुष के दौरान बच्चों को 11 जानलेवा बीमारियों से बचाव के लिए किया जाएगा टीकाकरण

डीके श्रीवास्तव

आगरा,जिले में सात अगस्त से सघन मिशन इंद्रधनुष- 5.0 शुरू होगा। अभियान तीन चरणों में चलाया जाएगा । पहला चरण सात से 12 अगस्त तक, द्वितीय चरण 11 से 16 सितम्बर तक और तृतीय चरण नौ से 14 अक्टूबर तक चलेगा। मिशन इंद्र धनुष के दौरान बच्चों को 11 जानलेवा बीमारियों से बचाव के लिए टीकाकरण किया जाएगा। आईएमआई- 5.0 को सफल बनाने के लिए हेड काउंट सर्वे के साथ विभाग की पूरी तैयारी है। 


मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि मिशन इंद्र धनुष 5.0 के दौरान शून्य से पांच साल तक के टीकाकरण से छूटे हुए बच्चों को 11 जानलेवा बीमारियों से बचाव के लिए टीकाकरण जरूर कराएं। आईएमआई- 5.0 के अंतर्गत 2036 टीकाकरण सत्र आयोजित किए जाएंगे। इस दौरान छूटे हुए बच्चे को पेंटा फर्स्ट 7293 , पेंटा सेकंड 6320 , पेंटा थर्ड 6364 व  एमआर फर्स्ट 7811 ,एमआर सेकंड 7733 सहित टीडी फर्स्ट 3760 ,टीडी सेकंड 3172 , टीडी बूस्टर 1780 टीके लगाए जायेंगे। टीकाकरण से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है, जानलेवा बीमारियों से बचाव होता है। उन्होंने बताया कि टीकाकरण के दौरान दिए जाने वाले मुख्य संदेशों पर अभिभावकों को विशेष ध्यान देना चाहिए, जिससे कि बच्चे का टीका न छूटे l 


जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. संजीव वर्मन (डीआईओ) ने बताया कि सघन मिशन इंद्रधनुष- 5.0 तीन चरणों में चलेगा। इस दौरान शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों को नियमित टीके और गर्भवती को टिटनेस एंड एडल्ट डिप्थीरिया (टीडी) के टीके लगाए जाएंगे। बच्चे को जन्म के तुरंत बाद या 24 घंटे के अंदर बीसीजी, ओपीवी और हेपेटाइटिस से बचाव के लिए टीके लगाए जाते हैं और किसी कारणवश टीका नहीं लग पाता है तो ओपीवी की पहली खुराक एक माह तक दी जा सकती हैं। बीसीजी का टीका एक साल के अंदर लगवाया जा सकता हैं। ओपीवी, पेंटा, रोटावायरस, पीसीवी, आईपीवी,  के टीके डेढ़ माह, ढाई माह,  और साढ़े तीन माह में लगते है। एमआर व विटामिन ए की खुराक जन्म के नौ माह पर दी जाती हैं। उन्होंने बताया कि बीसीजी का टीका क्षय रोग,  हेपेटाइटिस बी, पोलियो, निमोनिया, काली खांसी गलघोंटू, खसरा, रतौंधी की बीमारी से बचाता है। अभियान के दौरान यूनिसेफ का सहयोग रहेगा।


डीआईओ ने बताया कि बच्चों को समय से टीके लगवाने चाहिए, जिससे बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो सके। अभिभावकों को मातृ शिशु सुरक्षा (एमसीपी) कार्ड संभाल कर रखना चाहिए। कार्ड में बच्चे को लगाए गए टीकों का विवरण होता है। उन्होनें ने बताया कि माइक्रोप्लान के अनुसार ही मोबाइल टीम ईंट भट्ठों, मलिन बस्तियों, निर्माणाधीन स्थल पर जाकर टीकाकरण करेंगी।

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