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गृहस्थों के लिए अद्भुत शिक्षादायी है गणेश जन्म प्रसंग

डॉ दीपिका उपाध्याय

आगरा। 'पति-पत्नी के प्रेम और अधिकार भावना का अद्भुत चित्रण मिलता है श्री शिव महापुराण कथा में। श्री गणेश उत्पत्ति प्रसंग तो इसका साकार रूप है। भोलेनाथ के गणों पर जब भगवती अपना अधिकार नहीं पाती हैं, तभी वह गणेश की सृष्टि करती हैं। यह प्रसंग संदेश देता है की गृहस्थी की प्रत्येक वस्तु अथवा परिवार के सदस्यों पर पति-पत्नी दोनों का समान अधिकार होना चाहिए।' उक्त प्रवचन कथा वाचक डॉ दीपिका उपाध्याय ने श्रीगोपालजी धाम में शिव कथा कहते हुए दिए।
गुरुदीपिका योगक्षेम फाउंडेशन के तत्वावधान में चल रही शिव महापुराण कथा का आज चौथा दिन था।
कुमार जन्म का प्रसंग सुनाते हुए कथावाचक ने बताया कि देवों के हित साधन के लिए भगवान शिव ने संतान उत्पत्ति का विचार किया। तारकासुर के अत्याचारों से देवताओं की विकलता इतनी बढ़ गई कि भगवती उनसे कुपित हो गई और देव पत्नियों को बांझ हो जाने का श्राप दे दिया। सौभाग्यवश प्राप्त इस पुत्र को 6 कृतिकाओं ने बड़े ही लाड़ प्यार से पाला। इन्हीं के कारण आज भी कुमार कार्तिकेय नाम से जाने जाते हैं।
गणेश उत्पत्ति का प्रसंग सुनाते हुए कथावाचक ने बताया कि जब माता पार्वती को अपने आदेश के अनुसार कार्य करने वाले गण की आवश्यकता पड़ी तब उन्होंने गणेश की उत्पत्ति की। भगवान शिव और उनके गणों से विवाद हो जाने पर भगवान शिव ने त्रिशूल से गणेश पर प्रहार किया तो इससे भगवती रुष्ट हो गई। ब्रह्मा जी ने भगवती के प्रिय पुत्र को न केवल जीवित किया बल्कि देवताओं में अग्रपूज्य होने का वरदान भी दिया। बुद्धि चातुर्य और विघ्न विनाशक होने के कारण ही गणपति की पूजा के बिना आज भी कोई मंगल कार्य सफल नहीं होता।
इसी बुद्धि चातुर्य के बल पर धरती की सात परिक्रमा करने की शर्त गणेश जी ने पूर्ण की और भैया कार्तिकेय से पहले विवाह कर लिया।
फाउंडेशन के निदेशक रवि शर्मा ने बताया कि कल त्रिपुर दहन तथा तुलसी विवाह की कथा होगी। इस अवसर पर नीलम गुप्ता, वीना कालरा, कुसुम अरोड़ा, पवित्रा गौतम, गुंजन गौतम, कांता शर्मा आदि उपस्थित रहे।

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