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180 दिन की ट्रेनिंग में कैसे तैयार होंगे बेहतर सिपाही? रिटायर्ड कर्नल ने अग्निवीर योजना पर उठाए सवाल

कर्नल रोहित चौधरी ने कहा कि जैसे-जैसे अग्निवीर सैनिकों की शहादत हमारे सामने आ रही हैं, अग्निपथ योजना पर सवाल उठ रहे हैं। आर्मी ने पॉलिसी लेटर को चेंज करते हुए बताया है कि अग्निवीर सैनिकों को संवेदनशील और बेहद कठिन परिस्थितियों में तैनात नहीं किया जा सकता। क्या इन पाबंदियों के साथ हम देश की सरहदों को महफूज रख पाएंगे।

भारतीय सेना में भर्ती होने के लिए शुरु की गई 'अग्निपथ' योजना पर सवाल उठने लगे हैं। इसकी वजह पिछले दो सप्ताह में देश के दो अग्निवीरों की शहादत होना है। कांग्रेस पार्टी के एक्ससर्विस मैन विभाग के चेयरमैन कर्नल रोहित चौधरी (रिटायर्ड) का कहना है कि केंद्र सरकार देश की सुरक्षा प्रणाली के साथ बार-बार खिलवाड़ कर रही है। मात्र 180 दिन की ट्रेनिंग में युद्ध क्षेत्र के बेहतर सिपाही कैसे तैयार हो सकते हैं? अग्निपथ योज

सैनिकों को दो हिस्सों में बांटने का काम
सोमवार को 24 अकबर रोड स्थित कांग्रेस पार्टी के मुख्यालय में कर्नल रोहित चौधरी ने एक प्रेसवार्ता में कहा कि अग्निपथ योजना देश की सुरक्षा प्रणाली के लिए बहुत ही घातक है। यह महत्वपूर्ण मुद्दा है कि क्या अग्निवीर छह महीने की ट्रेनिंग के बाद युद्ध क्षेत्र के बेहतर सिपाही बन पाते हैं। नियमित सिपाही और कई वर्षों की कड़ी ट्रेनिंग के बाद हर परिस्थिति के लिए एक बेहतर सिपाही तैयार हो पाता है। छह महीने की ट्रेनिंग वाले अग्निवीर से क्या हम यह उम्मीद रखें कि वह हर स्थिति के लिए अच्छी तरह से प्रशिक्षित सिपाही होगा। अग्निपथ योजना, देश और युवाओं के लिए हितकारी नहीं है। इसके जरिए केंद्र सरकार ने देश के सैनिकों को दो हिस्सों में बांटने का काम किया है। इसमें एक नियमित सैनिक हैं और दूसरे अग्निवीर हैं। अग्निपथ योजना के नियम व शर्तों से यह बात पूरी तरह साबित हो जाती है।

दो सप्ताह में शहीद हो गए दो अग्निवीर
पिछले दिनों, पंजाब के अग्निवीर अमृतपाल सिंह, जो जम्मू कश्मीर के राजौरी सेक्टर में संतरी ड्यूटी पर तैनात थे, गोली लगने से उनकी मौत हो गई थी। सेना की ओर से कहा गया कि अग्निवीर अमृतपाल सिंह की मौत, सर्विस राइफल से चली गोली के कारण हुई है। सेना ने इस मामले की जांच के आदेश दिए थे। अमृतपाल सिंह का अंतिम संस्कार, सैन्य सम्मान के साथ नहीं किए जाने पर कहा गया कि खुद को पहुंचाई गई चोट से होने वाली मौत के मामले में ऐसा सम्मान नहीं दिया जाता है।

अब सियाचिन में अग्निवीर गावते अक्षय लक्ष्मण, ड्यूटी पर शहीद हो गए हैं। कर्नल रोहित चौधरी ने कहा, सियाचिन में अग्निवीर अक्षय लक्ष्मण की शहादत का समाचार बहुत दु:खद है। एक युवा देश के लिए शहीद हो गया। अग्निवीरों को सेवा के समय न ग्रेच्युटी, न अन्य सैन्य सुविधाएं और शहादत में परिवार को पेंशन तक नहीं है। अग्निपथ योजना का पहला बैच जून में आया था। उसके बाद पिछले 15 दिन में दो अग्निवीर शहीद हो गए हैं।

अग्निपथ योजना पर क्यों उठने लगे हैं सवाल?
कर्नल रोहित चौधरी ने कहा कि जैसे-जैसे अग्निवीर सैनिकों की शहादत हमारे सामने आ रही हैं, अग्निपथ योजना पर सवाल उठ रहे हैं। आर्मी ने पॉलिसी लेटर को चेंज करते हुए बताया है कि अग्निवीर सैनिकों को संवेदनशील और बेहद कठिन परिस्थितियों में तैनात नहीं किया जा सकता। क्या इन पाबंदियों के साथ हम देश की सरहदों को महफूज रख पाएंगे। क्या अग्निवीर सैनिक देश की सही से सुरक्षा कर पाएंगे। राहुल गांधी, भारत जोड़ो यात्रा के दौरान पूर्व सैनिकों से मिले थे। देश के नागरिकों से उन्हें हर जगह एक ही सुर में यह जवाब मिला कि अग्निपथ योजना, देश की सुरक्षा प्रणाली के लिए ठीक नहीं है। मोदी सरकार की अग्निपथ योजना देश की सुरक्षा के खिलाफ है। सभी पूर्व सैनिक संगठनों ने देश में अलग-अलग जगह पर अग्निपथ योजना के खिलाफ प्रदर्शन किए हैं।

किसने पैदा की सेना में भेदभाव की स्थिति?
कर्नल रोहित चौधरी के मुताबिक, कांग्रेस पार्टी ने केंद्र सरकार से कई सवाल पूछे हैं। मसलन, युवाओं, सैनिकों और देश के लिए घातक अग्निपथ योजना को क्यों लागू किया गया। सरकार ने अपनी ही सेना में भेदभाव की स्थिति क्यों पैदा की। यूनिटों में अग्निवीरों को सेना में 'चार साला' कहा जा रहा है। अग्निवीरों की शहादत को सम्मान देना और उनके परिवारों की देखभाल, यह देश की जिम्मेदारी है। अग्निवीरों को भी नियमित सैनिकों की तरह ही सम्मान दिए जाएं। वह उन सभी सम्मान का हकदार है, जो नियमित सैनिक को मिलते हैं। अग्निवीर को ग्रेच्युटी, पेंशन, मेडिकल बेनेफिट, कैंटीन फैसिलिटी, नौकरियों व शिक्षा में आरक्षण और फुल पेंशन रिटायरमेंट की उम्र तक मिलनी चाहिए। उसके बाद पेंशन व फैमिली पेंशन चालू होने का प्रावधान हो।

अग्निवीर की शहादत पर मिलती है इतनी राशि
शहीद गवाटे को लेकर भारतीय सेना की तरफ से कहा गया है कि उसके परिजनों को मुआवजे में 48 लाख रुपये की इंश्योरेंस राशि, 44 लाख रुपये का अनुग्रह भुगतान (एक्सग्रेशिया) और अग्निवीर से सेवा निधि योगदान (30%) व अर्जित ब्याज के साथ सरकार द्वारा एक समान योगदान शामिल है। इसमें सैनिक के निधन की तारीख से चार साल पूरे होने तक शेष कार्यकाल के लिए उसका वेतन भी शामिल है। वर्तमान मामले में यह राशि 13 लाख रुपये से अधिक है। सशस्त्र बल युद्ध कोष से 8 लाख रुपये का अतिरिक्त योगदान, परिजनों को दिया जाएगा। तत्काल राहत प्रदान करने के लिए आर्मी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा 30 हजार रुपये की वित्तीय सहायता दी जा रही है।

एनएसए डोभाल ने बताई 'अग्निवीर' की खूबियां
जब अग्निपथ योजना को लागू किया गया, तब देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुआ था। उस वक्त राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, अजीत डोभाल ने एक साक्षात्कार में कहा था कि अग्निपथ योजना समय की जरूरत है। भारत के आसपास माहौल बदल रहा है। बदलते समय के साथ सेना में बदलाव जरूरी है। इसे एक नजरिए से देखने की जरूरत है। अग्निपथ अपने आप में एक स्टैंडअलोन योजना नहीं है। 2014 में जब पीएम मोदी सत्ता में आए, तो उनकी प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक भारत को सुरक्षित और मजबूत बनाना था। ये योजना उसी का एक हिस्सा है। सोचिए 22-23 वर्ष का युवक, जब चार वर्ष अग्निवीर के रूप में गुजारकर जॉब मार्केट में आएगा है तो उसकी तुलना उस युवक से कीजिए, जो अग्निवीर नहीं बना। अग्निवीर अपने प्रतिस्पर्धी के मुकाबले हर मोर्चे पर आगे रहेगा। उसके पास करीब 11 लाख रुपये भी होंगे। अगर वह चाहे तो पढ़ाई कर सकता है, कोई व्यवसाय कर सकता है। पहले का जमाना अलग था। उस वक्त सैनिक रिटायर होने के बाद अपने गांव चला जाता था। वहां अपनी जमीन से अन्न उपजाता था। पेंशन से बाकी खर्चे निकल जाते थे। आज वैसे हालात नहीं रह गए हैं।

अग्निवीर के पास कई जगह नौकरी के अवसर होंगे
बतौर अजीत डोभाल, सेना में चार साल बिताने के बाद अग्निवीर जब वापस लौटेगा तो वह एक स्किल्ड और ट्रेन्ड युवा होगा। वह समाज में सामान्य नागरिक की तुलना में कहीं ज्यादा योगदान कर पाएगा। रिटायरमेंट के वक्त  वह 25 साल का होगा। उस वक्त भारत की इकनॉमी 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच चुकी होगी। तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था को ऐसे लोग चाहिए होंगे। सेंट्रल आर्म्ड फोर्सेज, राज्य पुलिस समेत अन्य कई भर्तियों में ऐसे ट्रेंड युवाओं की जरूरत होगी। सभी विभागों ने पहले ही अग्निवीरों को नौकरी में वरीयता देने का एलान कर दिया है। एनएसए ने कहा, देश को सुरक्षित करने के लिए तकनीक, हाईटेक हथियार, सिक्योर डिफेंस कम्युनिकेशन के क्षेत्र में काफी काम हुआ है। नई तकनीक सामने आ रही हैं। भारत ने स्पेस पॉवर में भी बड़ी सफलता हासिल की है। इसको अधिक प्रभावी बनाने के लिए हमें ज्यादा से ज्यादा तकनीक मामले में दक्ष युवाओं की जरूरत पड़ेगी। अग्निपथ योजना, इसी का एक हिस्सा है। इससे हमें बड़ी संख्या में टेक फ्रेंडली युवा मिलेंगे।

 

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