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 बाग फरजाना में हुआ गीता प्रवचन श्रृंखला का शुभारंभ

डीके श्रीवास्तव

आगरा 'श्रीमद्भगवद्गीता मात्र भगवान के मुखारविंद से निकला हुआ निवृत्ति मार्गीय उपदेश नहीं है, वरन् इसमें मानव मन के अवचेतन के गहन अंधकार का अन्वेषण है। मानव मनोविज्ञान का ब्लूप्रिंट है गीता का उपदेश।' श्रीमद्भगवद्गीता प्रवचन श्रृंखला का प्रारंभ करते हुए विख्यात कथावाचक डॉ दीपिका उपाध्याय ने उक्त प्रवचन दिए।
 इंजीनियर अजय किशोर के यहां आज पौष कृष्ण एकादशी से प्रवचन श्रृंखला का शुभारंभ हुआ। गीता के प्रथम अध्याय के मूल पाठ के साथ ही कथा वाचक ने महाभारत युद्ध की भूमिका तथा गीता का माहात्म्य बताया। इस लोक कल्याणकारी ग्रंथ की व्याख्या करते हुए कथावाचक ने कहा कि इसका प्रथम श्लोक ही महाभारत के युद्ध के परिणाम की ओर संकेत करता है। जहां धृतराष्ट्र राजा होकर भी अपने तथा अपने भाइयों के पुत्रों के बीच क्या हुआ, जैसा स्वार्थ पूर्ण प्रश्न करते हैं।
 कथावाचक ने कहा कि जो राजा परिवार के बच्चों में ही भेद दृष्टि रखता हो, वह राज्य की प्रजा को भला पुत्र समान कैसे समझ सकता है? ऐसे राजा और उसके राज्य का पराभव सुनिश्चित है। धृतराष्ट्र द्वारा किया गया यह प्रश्न ही महाभारत युद्ध के कारण तथा परिणाम दोनों की ओर संकेत करता है।
 आगे कथा वाचक ने धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र की व्याख्या करते हुए सीमंतपंचक क्षेत्र की महिमा तथा उसका इतिहास बताया। प्रथम अध्याय में कौरवों और पांडवों के साथ युद्ध में संलग्न वीरों के परिचय के साथ-साथ उनकी अंतर्कथाओं से भी कथावाचक ने परिचित कराया।
 भीष्म पितामह की मृत्यु की रहस्य कथा के साथ ही प्रवचन का विश्राम हुआ। इस अवसर पर मुख्य यजमान इंजीनियर अजय किशोर, सोनू मेहरोत्रा, देवेंद्र गोयल, रवि शर्मा आदि उपस्थित रहे।

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