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मन को भाता है कम्प्यूटर (बाल कविता)

डॉ. सत्यवान सौरभ 

कम्प्यूटर एक अनोखी चीज़,
छोटे-बड़े सभी का अजीज़।

घर, बिजनिस, स्कूल और दफ्तर,
काम चले न बिना कंप्यूटर।

काम सभी ये झटपट करता, 
बजे रेडियो, टीवी चलता। 

इसमें फोटो, पेंटिंग, खेल,
कैलकुलेटर, वीडियो, मेल।

गाता गाने, है हर भाषा, 
पूरी करता सबकी आशा। 

गिनती में ये सबसे तेज, 
तुरंत चिट्ठियाँ देता भेज।
  
इसमें दुनिया भर का ज्ञान,
इतिहास, गणित और विज्ञान।

नए दौर का टीचर ट्यूटर, 
मन को भाता है कम्प्यूटर। 

-डॉ. सत्यवान सौरभ 
(नव प्रकाशित बाल काव्य संग्रह 'प्रज्ञान' से साभार।)

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