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स्टोरी - रामजीलाल सुमन

हरीश सक्सेना चिमटी

इस व्यवस्था को बदलो वरना देश जहन्नुम में चला जायेगा. सत्ता का विकेंद्रिकरण करो, चौखंभा  राज की स्थापना करो तभी देश का निर्माण किया जा सकता है, तभी भूखों को खाना, बेकार को काम, खेत को पानी, अनपढ़ को शिक्षा, पिछड़े- दबे- कुचले- उदास मन को
नई ज़िंदगी का संदेश दिया जा सकता है, जिससे वे उठे, बढ़े, और मुल्क को, इसकी आत्मा को, संविधान को, देश के आत्म सम्मान
को बचा सके. गाँधीवादी, समाजवादी, लोहिया वादी विचार को आत्मसात करके भारतीय लोकतंत्र और उसके संविधान की रक्षा को प्रतिबद्ध जन नेता रामजी लाल सुमन 1975 के आपात काल को वो युवा क्रांतिकारी चेहरा जिसने 1977 के लोकसभा चुनाव मे सबसे कम उम्र सांसद होने का गौरव हासिल किया वही संसद से सड़क तक पिछले 45-46 सालों मे चाहे संसद मे हो या न होने बेहद मजबूती के साथ समाज के किसी भी तबके के पीड़ित और शोषित को अपने घर की चोखट से निराश न होने दिया. सिद्धांत और विचार की राजनीति को संघर्ष की धार से बड़ी से बड़ी सत्ता और प्रशासन से मजलूम के हित लड़ने वाले रामजी लाल सुमन का राज्यसभा मे जाना उस पीड़ित और वंचित की दुआओ
का नतीजा है जो ये सोचता था कि आपात काल वाला युवा सुमन  इस सांप्रदायिक और नफ़रत से भरे अघोषित आपात काल मे एक बार से मोहब्बत की मशाल लेकर इस  अहंकारी सत्ता का सर्वनाश करे..... 
वो जानता है कि उसके नेता लोहिया कहते थे कि आवारा संसद को गली चोराहे हरा देते है.
वो ये भी जानते है कि पिछले 10 सालों मे सत्ता और सरकार ने तुमको कोन सा प्रलोभन न दिया, लेकिन तुम डटे रहे, अडे रहे, राज्यसभा मे ऐसा लगता है तुम्हारे दोलत के नाम पर कुछ है नहीं.... मगर है  तुम्हारे पास सबसे बड़ी दोलत प्रतिबद्धता की... असीम शुभकामनाए....

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