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ये जीवन ईश्वर का उपहार

दिनेश अगरिया

 प्रभु ने अपनी मानव रूपी रचना में मनुष्य को सब कुछ समान रूप से प्रदान किया है कोई भेदभाव नही किया प्रत्येक मनुष्य को शक्तिशाली ज्ञानी और गुणी बनाया है प्रभु की रचना में किसी भी प्रकार का पक्षपात नही किया गया है मनुष्य का आचार विचार और मौलिक व्यवहार से उसकी कार्य दृष्टि के भाव का परिचय मिलता है। व्यक्ति स्वयं के अन्तर्मन में विधमान गुणों का मूल्यांकन करे तो देश और समाज के लिये साधारण व्यक्ति भी असाधारण कार्य कर सकता है ।
व्यक्ति के अंदर छिपे ज्ञान रूपी दीपक में प्रकाश भरके जटिल पथ को भी सरल बनाया जा सकता है विश्वभर में एकमात्र भारत भूमि के वातावरण में ही ऐसा ज्ञानपुंज विद्यमान है, जिसकी शक्तिज्ञान से मनुष्य के उच्चतम शिखर पर पहुंचने के अवशेष यहां उपलब्ध हैं जगतजन को जीवन तत्व की शिक्षा प्रदान करने के लिए ही प्रभू ने विभिन्न कष्टों से मुक्ति के लिए विवेक रूपी उपहार प्रदान किया है। किसी बात को कहने से पहले सोचना बुद्धिमता है बात बोलते समय सोचना सतर्कता है और बोलने के बाद सोचना मूर्खता है ।  व्यक्ति के ज्ञान रूपी दीपक को प्रकाशमय करने हेतु यह बात कही है । आशा है कि आप सभी इसका अनुसरण करेंगे।।

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