कुलपति प्रो. आशू रानी का तीन वर्षीय स्वर्णिम और सफल अध्याय में दूरदर्शी मार्गदर्शन व नेतृत्व”
डॉ प्रमोद कुमार

आगरा। “विश्वस्तरीय व प्रगतिशील शिक्षा, शोध, संस्कृति का संगम, नवाचार, अवसंरचना व राष्ट्रीय चेतना के समन्वय से मानवीय मूल्यों तक: डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा की कुलगुरु आदरणीय कुलपति प्रो. आशू रानी जी का तीन वर्षीय स्वर्णिम और सफल अध्याय में दूरदर्शी मार्गदर्शन व नेतृत्व””विश्वस्तरीय व प्रगतिशील शिक्षा, शोध, संस्कृति का संगम, नवाचार, अवसंरचना व राष्ट्रीय चेतना के समन्वय से मानवीय मूल्यों तक: डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा की कुलगुरु आदरणीय कुलपति प्रो. आशू रानी जी का तीन वर्षीय स्वर्णिम और सफल अध्याय में दूरदर्शी मार्गदर्शन व नेतृत्व”
डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा ने पिछले तीन वर्षों में अपने शैक्षणिक, शोध, सांस्कृतिक और नवाचार संबंधी आयामों में जिस प्रकार का उल्लेखनीय उत्थान किया है, उसका श्रेय निस्संदेह कुलगुरु आदरणीय कुलपति प्रो. आशू रानी जी के दूरदर्शी मार्गदर्शन और सक्षम नेतृत्व को जाता है। विश्वविद्यालय का यह तीन वर्षीय स्वर्णिम अध्याय केवल संस्थागत विकास का उदाहरण नहीं है, बल्कि यह शिक्षा को मानवीय मूल्यों, राष्ट्रीय चेतना और सांस्कृतिक समृद्धि के साथ जोड़ने का एक सशक्त प्रयास भी है। प्रो. आशू रानी जी के कार्यकाल में विश्वविद्यालय ने विश्वस्तरीय व प्रगतिशील शिक्षा की ओर कदम बढ़ाते हुए शोध की गुणवत्ता और नवीनता को प्राथमिकता दी है। बुनियादी ढाँचे और आधुनिक अवसंरचना के विकास के साथ-साथ उन्होंने विश्वविद्यालय परिसर को ऐसा सृजनात्मक और प्रेरणादायी वातावरण प्रदान किया, जहाँ विद्यार्थी और शिक्षक दोनों अपनी शैक्षणिक और शोधगत क्षमताओं का पूर्ण उपयोग कर सकें। शिक्षा के साथ मानवीय दृष्टिकोण का संतुलन स्थापित करना, संस्थागत संस्कृति को सुदृढ़ बनाना तथा राष्ट्रीयता की भावना को प्रोत्साहन देना उनके नेतृत्व की विशेष पहचान है।
यह तीन वर्षीय कार्यकाल केवल प्रबंधन और प्रशासनिक सफलता तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह विश्वविद्यालय के उस व्यापक दृष्टिकोण को भी दर्शाता है जिसमें शिक्षा के माध्यम से समाज को नई दिशा देने का संकल्प निहित है। शोध, नवाचार और सांस्कृतिक मूल्यों का संगम करते हुए विश्वविद्यालय ने न केवल अपनी पहचान राष्ट्रीय स्तर पर सुदृढ़ की है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी प्रतिस्पर्धात्मक उत्कृष्टता प्राप्त करने की दिशा में ठोस कदम बढ़ाए हैं।
शिक्षा किसी भी राष्ट्र की प्रगति का मूल आधार है। उच्च शिक्षा संस्थान न केवल ज्ञान का प्रसार करते हैं, बल्कि समाज और राष्ट्र की दिशा तय करने में भी केंद्रीय भूमिका निभाते हैं।विश्वविद्यालयों का दायित्व केवल शैक्षिक उत्कृष्टता तक सीमित नहीं रहता, बल्कि वे सामाजिक न्याय, सांस्कृतिक संवर्धन और राष्ट्रीय चेतना को भी पोषित करते हैं। उत्तर भारत के ऐतिहासिक और प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा का विशेष महत्व है। यह विश्वविद्यालय स्वतंत्र भारत की आकांक्षाओं, आदर्शों और मूल्यों को मूर्त रूप देने वाला संस्थान रहा है।
पिछले तीन वर्षों में इस विश्वविद्यालय ने जिस गति और गुणवत्ता के साथ प्रगति की है, वह दूरदर्शी नेतृत्व और प्रशासनिक कुशलता का परिणाम है। कुलपति प्रो. आशू रानी जी ने अपने कार्यकाल में जिस प्रकार शिक्षा, शोध, नवाचार, अवसंरचना, संस्कृति और मानवीय मूल्यों का संगम साधा, वह न केवल विश्वविद्यालय के इतिहास में बल्कि भारतीय उच्च शिक्षा जगत में भी स्वर्णाक्षरों में दर्ज किया जाएगा। इस प्रकार, यह प्रस्तावना इस बात की पुष्टि करती है कि कुलपति प्रो. आशू रानी जी के नेतृत्व में डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा ने शिक्षा, शोध और संस्कृति के संगम से मानवीय मूल्यों और राष्ट्रीय चेतना को पोषित करते हुए भविष्य की मजबूत नींव रखी है और यह लेख उनके तीन वर्षीय कार्यकाल की उपलब्धियों, चुनौतियों, दृष्टिकोण और दूरगामी प्रभावों का अकादमिक विश्लेषण प्रस्तुत करता है।
2. विश्वविद्यालय की पृष्ठभूमि और वर्तमान परिप्रेक्ष्य
डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा की स्थापना 1927 में “आगरा विश्वविद्यालय” के रूप में हुई थी। यह संस्थान उत्तर भारत का पहला विश्वविद्यालय था जिसने शिक्षा को जन-जन तक पहुँचाने का बीड़ा उठाया। समय के साथ यह विश्वविद्यालय कई महाविद्यालयों और शोध संस्थानों का केंद्र बना। 1996 में इस विश्वविद्यालय का नाम बदलकर “डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय” रखा गया, जो समानता, न्याय और मानवाधिकार के महान प्रवक्ता डॉ. भीमराव आंबेडकर के आदर्शों का प्रतिनिधित्व करता है।
आज के युग में उच्च शिक्षा के समक्ष अनेक चुनौतियाँ हैं—वैश्विक प्रतिस्पर्धा, नई शिक्षा नीति 2020 का क्रियान्वयन, तकनीकी परिवर्तनों के साथ तालमेल, और छात्रों को रोजगारपरक कौशल से लैस करना। इन चुनौतियों का सामना करने के लिए विश्वविद्यालय को एक दूरदर्शी और प्रभावी नेतृत्व की आवश्यकता थी, जिसे प्रो. आशू रानी जी ने सफलतापूर्वक निभाया।
3. विश्वस्तरीय व प्रगतिशील शिक्षा की दिशा में सुधार
उच्च शिक्षा का मुख्य उद्देश्य छात्रों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना है। इस दिशा में प्रो. आशू रानी जी के नेतृत्व में कई सुधारात्मक कदम उठाए गए—
1. पाठ्यक्रम आधुनिकीकरण – सभी संकायों में पाठ्यक्रमों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप संशोधित किया गया। विशेष रूप से विज्ञान, प्रबंधन, विधि और समाजशास्त्र के विषयों में आधुनिक और उद्योगोन्मुखी विषयों को शामिल किया गया।
2. नई शिक्षा नीति 2020 का कार्यान्वयन – विश्वविद्यालय ने एनईपी 2020 को लागू करने में अग्रणी भूमिका निभाई। मल्टी-एंट्री और मल्टी-एग्जिट प्रणाली, कौशल-आधारित पाठ्यक्रम, और क्रेडिट बैंक प्रणाली को सफलतापूर्वक अपनाया गया।
3. डिजिटल और ऑनलाइन शिक्षा – कोविड-19 काल के दौरान ऑनलाइन शिक्षण को सफलतापूर्वक अपनाने के बाद, विश्वविद्यालय ने स्थायी रूप से ई-लर्निंग प्लेटफ़ॉर्म विकसित किए। स्मार्ट क्लासरूम और हाइब्रिड टीचिंग पद्धति को संस्थागत रूप दिया गया।
4. छात्र-केन्द्रित शिक्षा – शिक्षण पद्धति को अधिक संवादात्मक और व्यावहारिक बनाया गया। छात्रों को प्रोजेक्ट, इंटर्नशिप और फील्ड वर्क से जोड़ा गया।
इन पहलों के परिणामस्वरूप विश्वविद्यालय के स्नातकों की गुणवत्ता और उनकी रोजगारपरकता में उल्लेखनीय सुधार हुआ।
4. शोध और शोध-गुणवत्ता का उत्थान
विश्वविद्यालय का वास्तविक मूल्यांकन उसके शोध कार्य से होता है। प्रो. आशू रानी जी के नेतृत्व में शोध की गुणवत्ता और परिमाण में महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की गई।
प्रकाशनों की वृद्धि – राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय जर्नलों में शोध पत्रों की संख्या में लगभग दोगुनी वृद्धि हुई।
अनुसंधान परियोजनाएँ – विज्ञान और सामाजिक विज्ञान के क्षेत्रों में कई परियोजनाएँ विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC), विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST), और भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR) से स्वीकृत हुईं।
अंतःविषयी शोध – इंजीनियरिंग, विज्ञान, पर्यावरण और सामाजिक विज्ञान के बीच अंतःविषयी शोध परियोजनाओं को बढ़ावा दिया गया।
बौद्धिक संपदा अधिकार – पेटेंट दाखिल करने और स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष सेल स्थापित किया गया।
शोध गतिविधियों में इस प्रकार की वृद्धि ने विश्वविद्यालय को न केवल राष्ट्रीय बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक पहचान दिलाई।
5. नवाचार और अवसंरचना का विकास
प्रो. आशू रानी जी के कार्यकाल में विश्वविद्यालय ने अवसंरचना विकास पर विशेष ध्यान दिया।
स्मार्ट क्लासरूम और प्रयोगशालाएँ – अत्याधुनिक प्रयोगशालाएँ और स्मार्ट क्लासरूम स्थापित किए गए।
डिजिटल पुस्तकालय – ई-बुक्स, ई-जर्नल और डिजिटल डेटाबेस की सुविधाएँ छात्रों और शोधकर्ताओं को उपलब्ध कराई गईं।
हरित परिसर (Green Campus) – विश्वविद्यालय परिसर को पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए सौर ऊर्जा, वर्षा जल संचयन और वृक्षारोपण अभियान चलाए गए।
इनोवेशन और इनक्यूबेशन सेंटर – स्टार्टअप्स और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए इनक्यूबेशन हब की स्थापना की गई।
इन पहलों ने विश्वविद्यालय की पहचान को आधुनिक, नवाचार-प्रेमी और पर्यावरण-संवेदनशील संस्थान के रूप में स्थापित किया।
6. सांस्कृतिक और संस्थागत गतिविधियाँ
संस्कृति शिक्षा का अभिन्न अंग है। इस दृष्टि से विश्वविद्यालय ने अनेक पहल कीं—
संगोष्ठियाँ और सम्मेलन – राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनेक संगोष्ठियाँ, कार्यशालाएँ और सम्मेलन आयोजित किए गए।
सांस्कृतिक कार्यक्रम – नाट्य प्रतियोगिताएँ, संगीत, नृत्य और साहित्यिक गतिविधियाँ नियमित रूप से आयोजित हुईं।
सामाजिक उत्तरदायित्व – राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) और राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) की गतिविधियों के माध्यम से छात्रों को समाज सेवा से जोड़ा गया।
इन गतिविधियों से छात्रों में आत्मविश्वास, नेतृत्व क्षमता और सांस्कृतिक चेतना का विकास हुआ।
7. राष्ट्रीय चेतना और मानवीय मूल्यों का संवर्धन
विश्वविद्यालय केवल शिक्षा का केन्द्र नहीं, बल्कि राष्ट्रनिर्माण की प्रयोगशाला भी है।
नैतिक शिक्षा – विश्वविद्यालय ने विभिन्न पाठ्यक्रमों और कार्यशालाओं में नैतिकता और मानवीय मूल्यों को स्थान दिया।
समानता और समरसता – डॉ. भीमराव आंबेडकर के विचारों से प्रेरणा लेते हुए सामाजिक न्याय और समानता की भावना छात्रों और प्राध्यापकों में विकसित की गई।
राष्ट्रीय चेतना – स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस और अन्य राष्ट्रीय पर्वों पर विशेष आयोजन कर छात्रों में देशभक्ति की भावना प्रबल की गई।
8. दूरदर्शी नेतृत्व और प्रशासनिक कौशल
प्रो. आशू रानी जी की नेतृत्व शैली लोकतांत्रिक और सहभागितापूर्ण रही।
पारदर्शिता – सभी निर्णय पारदर्शी और जवाबदेही पर आधारित रहे।
सहभागिता – प्रशासनिक निर्णयों में प्राध्यापकों, कर्मचारियों और छात्रों की भागीदारी सुनिश्चित की गई।
रणनीतिक दृष्टि – विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर स्थापित करने के लिए दीर्घकालिक कार्ययोजना तैयार की गई।
9. तीन वर्षीय कार्यकाल की प्रमुख उपलब्धियाँ
1. राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में सुधार। NAAC A+ व NIRF रैंकिंग
2. शोध प्रकाशनों और पेटेंट की संख्या में वृद्धि।
3. अवसंरचना और डिजिटल सुविधाओं का विस्तार।
4. छात्रों की रोजगारपरकता में सुधार।
5. सांस्कृतिक और सामाजिक गतिविधियों में अग्रणी भूमिका।
6. नई शिक्षा नीति 2020 का सफल क्रियान्वयन।
10. चुनौतियाँ और उनके समाधान
कोविड-19 महामारी – ऑनलाइन शिक्षण और मूल्यांकन प्रणाली को प्रभावी ढंग से लागू किया गया।
वित्तीय कठिनाइयाँ – संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग और बाहरी फंडिंग प्राप्त कर समस्याओं का समाधान किया गया।
मानसिक अवरोध – पारंपरिक सोच को बदलकर आधुनिक दृष्टिकोण को अपनाने की दिशा में कार्य किया गया।
डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा का तीन वर्षीय स्वर्णिम अध्याय कुलपति प्रो. आशू रानी जी के दूरदर्शी नेतृत्व का परिणाम है। इस अवधि में विश्वविद्यालय ने शिक्षा, शोध, नवाचार, अवसंरचना और सांस्कृतिक उत्थान के क्षेत्र में जो प्रगति की, उसने इसे न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि वैश्विक अकादमिक परिप्रेक्ष्य में भी प्रतिष्ठा दिलाई। प्रो. आशू रानी जी ने यह सिद्ध किया कि उच्च शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान का विस्तार करना नहीं है, बल्कि उसमें मानवीय मूल्यों, राष्ट्रीय चेतना और सामाजिक उत्तरदायित्व का समावेश भी होना चाहिए।
कुलगुरु आदरणीय कुलपति महोदया जी के नेतृत्व में जहाँ एक ओर विश्वविद्यालय ने नई शिक्षा नीति 2020 को सफलतापूर्वक लागू किया, वहीं दूसरी ओर शोध-गुणवत्ता, पेटेंट, नवाचार और उद्यमिता के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय उपलब्धियाँ दर्ज कीं। आधुनिक अवसंरचना, स्मार्ट क्लासरूम, डिजिटल पुस्तकालय और इनक्यूबेशन हब जैसी पहलों ने इस संस्थान को समयानुकूल और भविष्यद्रष्टा बनाया। साथ ही, भारतीय संस्कृति, कला और परंपराओं के संवर्धन के माध्यम से छात्रों में राष्ट्रीय चेतना और मानवीय संवेदनाओं को पुष्ट किया गया।
डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा में कुलपति प्रो. आशू रानी जी का तीन वर्षीय कार्यकाल शिक्षा, शोध, संस्कृति, नवाचार, अवसंरचना और मानवीय मूल्यों के समन्वय का अद्वितीय उदाहरण है। उनके नेतृत्व में विश्वविद्यालय ने न केवल अकादमिक गुणवत्ता में वृद्धि की, बल्कि राष्ट्रीय चेतना और सामाजिक उत्तरदायित्व की दिशा में भी उल्लेखनीय योगदान दिया।
इस प्रकार यह तीन वर्षीय कार्यकाल विश्वविद्यालय के लिए स्वर्णिम उपलब्धियों का कालखंड सिद्ध हुआ, जिसने अकादमिक उत्कृष्टता और सामाजिक दायित्व दोनों की पूर्ति की। प्रो. आशू रानी जी का दूरदर्शी मार्गदर्शन और सशक्त नेतृत्व न केवल विश्वविद्यालय परिवार बल्कि संपूर्ण उच्च शिक्षा जगत के लिए प्रेरणास्रोत है। भविष्य में यह कार्यकाल शिक्षा और शोध के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करने की दिशा में एक सशक्त आधारशिला के रूप में स्मरण किया जाएगा। यह कार्यकाल निश्चय ही “स्वर्णिम अध्याय” है, जिसने विश्वविद्यालय को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया और भविष्य में भी यह दिशा उच्च शिक्षा जगत को प्रेरणा देती रहेगी।
डॉ प्रमोद कुमार
डिप्टी नोडल अधिकारी, MyGov
डॉ भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा