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ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा बता रहे हैं, सपनों के पीछे ऐसे लगाओ ‘जैवरन’ दौड़

उल्लेखनीय है कि इन दिनों नीरज चोपड़ा फिनलैंड में हैं। वहीं रहकर आगामी जैवलिन प्रतीक्षा प्रतियोगिताओं की तैयारी में जुटे हैं। आने वाले दिनों में वे विश्व चैंपियनशिप कॉमनवेल्थ आदि खेलों के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं।

सीमा झा। टोक्यो ओलिंपिक में भारत को एकमात्र गोल्ड मेडल दिलाकर इतिहास बनाने वाले जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा का हैशटैग जैवरन इन दिनों चर्चा में है। यह चैलेंज यूट्यब पर छाया हुआ है। इसमें भाग लेने के लिए फैंस को नीरज के रन-अप की नकल करते हुए वीडियो बनाना होता है। इसके बाद वे अपने वीडियो को यूट्यूब शॉर्ट्स पर पोस्ट कर सकते हैं। इसे ‘जैव रन चैलेंज’ नाम दिया गया है। चैलेंज में हिस्सा लेने वाले लकी प्रशंसकों को नीरज चोपड़ा से मिलने का भी मौका मिलेगा।

वीडियो डालने वालों के लेट्स नाचो ट्रैक के साथ ही #JavRun और #YouTubeShorts का उपयोग करना होगा। इस तरह के चैलेंज का क्या उद्देश्य है? इस सवाल पर खुद नीरज चोपड़ा कहते हैं, एक तो लोगों को जैवलिन थ्रो से जोडऩा है, उन्हें दिखाना है कि आखिर जैवलिन थ्रो के लिए कैसे दौड़ लगानी है। पर इसके साथ-साथ हम चाहते हैं इससे फिटनेस का भी संदेश जाए। दरअसल, यह दो इस चैलेंज का बहुत बड़ा मकसद है। मैं चाहता हूं कि युवा यह समझें कि फिट रहेंगे तभी वे अपने सपनों के पीछे दौड़ लगा सकते हैं।’

नीरज चोपड़ा के मुताबिक, ओलंपिक में स्वर्ण जीतने के बाद से युवाओं को जैवलिन के प्रति खूब रुचि हो रही है, यह देखकर वे रोमांचित हो रहे हैं। जब वे इस खेल में आए थे तो लोगों में इसे लेकर इतना उत्‍साह नहीं था। पर यह तो हुई बस यूटयूटब के जरिए फन की बात, वास्तव में नीरज जब किसी खेल प्रतियोगिताओं की तैयारी में होते हैं तो वे कैसे जीत के दबावों का सामना करते हैं, कितनी मुश्किल होती है अपनी जीत को दोहराने के दबाव से जूझना? ‘एक खिलाड़ी के जीवन में हार और जीत लगी रहती है। मैं इसे लेकर अधिक दबाव नहीं लेता। मेरी हमेशा कोोशिश रहती है कि बाहरी दबावों में खुद को न उलझाऊं। अपने प्रदर्शन पर पूरा ध्यान दूं और जब खेल रहा हूं उसी पर पूरी तरह एकाग्र रह सकूं।’ नीरज कहते हैं। पर इसके साथ नीरज यह कहना नहीं भूलते कि हर युवा को इसी विजन के साथ आगे बढ़़ना चाहिए। अन्‍यथा, जीतने का दबाव उनके प्रदर्शन को प्रभावित कर सकता है और वे हार मिले तो अधिक परेशान हो सकते हैं और तो और उनकी आने वाली चुनौतियां भी इससे और कठिन हो सकती हैं।

 

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