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बेवजह नहीं मदरसों पर ओवैसी की सियासत ?

डॉ.बचन सिंह सिकरवार

गत दिनों उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे के आदेश तथा असम के मुख्यमंत्री हेमन्त बिस्वा शर्मा द्वारा आतंकवादी गतिविधियाँ चलाने तथा अवैध रूप से संचालित मदरसों के ध्वस्त किये जाने पर जिस तरह ‘ऑल इण्डिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन’(एआइएमआइएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी द्वारा एतराज,तरह-तरह के तंज कसते हुए लगातार मुखालफत की जा रही है,वह बेवजह नहीं है। हकीकत यह है कि वह यह सब कह कर देश के मुसलमानों के एकमात्र रहबर और उनके सबसे बड़े पैरोकार, मुल्क में इस्लाम के सबसे मुजाहिद साबित करने के साथ-साथ मदरसों की असलियत को छुपाना चाहते हैं। इसलिए वह योगी जी के आदेश पर सवाल उठाते हुए उसे मनमाना और मुसलमानों को परेशान करने,हैरान/सताने वाला होने का इल्जाम भी लगा रहे हैं। इनका यह भी कहना है कि भाजपा सरकार मुसलमानों को शक की नजर से देखती है। उनका सबसे बड़ा आरोप है कि यह सर्वे छोटा ‘नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स’(एनआरसी) जैसा फैसला है। लेकिन ऐसे बड़े इल्जाम लगाते हुए ओवैसी ने यह नहीं बताया कि अगर सर्वे से इन गैर मान्यता प्राप्त मदरसों में कुछ कमियाँ-खामियाँ निकल कर आती हैं, तो सरकार उन्हें दूर करने के उपाय भी करेगी। वह उन्हें सिर्फ नुकसाने पहुँचायेगी और परेशान ही करेगी, ऐसा उन्होंने कैसे मान लिया? जहाँ तक कुछ मदरसों में देश विरोधी गतिविधियाँ, इस्लामिक कट्टरता और दूसरे मजहबों को लेकर नफरत का सबक सिखाने का सवाल है,तो इसके भी सुबूतों की कमी नहीं है। अब तक देश में बम फोड़ते और मुल्क को नुकसान पहुँचाते जितने दहशतगर्द गिरपतार हुए हैं उनमें से ज्यादातर का इन मदरसों से कुछ न कुछ वास्ता जरूर रहा है। मस्जिद- मदरसों पर आम लोगों को मजहबी कट्टरता और नफरत फैलाने का इल्जाम भी लगते रहे हैं, यहाँ ये काम मुल्ला-मौलवी ही कर आऐ हैं।ये भी मदरसों में तैयार होते हैं। ये मदरसे दहशतगर्दों को छुपाने तथा उनके पनाहगाह और अड्डे भी बने हुए हैं। इनमें से कई बार दहशतगर्द पकड़े भी जा चुके हैं। एक समय जम्मू-कश्मीर को हर शुक्रवार को नमाज के बाद पाकिस्तान और दहशतगर्द संगठन ‘आइ.एस.’के झण्डे लहराते तथा पाकिस्तान जिन्दाबाद, हिन्दुस्तान मुर्दाबाद के नारों के साथ सुरक्षा बलों पर पत्थर बरसाते लोग निकलते थे। उसके बाद सी.ए.ए., हिन्दुओं के नव वर्ष के जुलूस, हनुमान जयन्ती और फिर नूपुर शर्मा मामले में भी दिल्ली, कानपुर, करौली समेत देश के कई शहरों की मस्जिदों से मजहबी नारे लगाती आगजनी, पत्थरबाजी, हिंसा करती भीड़ निकली थी।
हाल में असम में इस्लामिक दहशतगर्द संगठन ‘अलकायदा इन इण्डियन सबकण्टिनेण्ट’ और ‘अंसारुल्लाह बांग्लादेश टीम’ से जुड़े होने के आरोप में एक इमाम तथा 37 लोगों को गिरपतार किये गए हैं। इसके पश्चात् सरकार द्वारा अब तक तीन गैर कानूनी ढंग से मदरसे ढहे जा चुके हैं, क्योंकि ऐसी सूचनाएँ मिल रही थीं कि कुछ दहशतगर्द मजहबी शिक्षक के वेश में राज्य में घुस आए हैं और वे चुपचाप विध्वंसक और राष्ट्र विरोधी गतिविधियाँ चला रहे हैं। इसी 30 अगस्त को गोलपारा जिला पुलिस ने एक तलाशी अभियान चलाया था, जिसमें बांग्ला भाषा में एबीटी और एक्यूआइएस के आतंकवादियों से जुड़े हुए कई महत्त्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किये। पुलिस ने इन दहशतगर्द संगठनों से जुड़े दहशतगर्द को मदरसे से गिरपतार किया है।
गत 31अगस्त को असम के बोगाईगाँव जिले में प्रशासन ने काबेतरी पार्ट-चार में स्थित ‘मरकज मारिफ क्वारियाना मदरसा को बुलडोजर से ढहा दिया गया, जो दहशतगर्दों का अड्डा बना हुआ था। इससे एक दिन पहले 30 अगस्त असम सरकार ने बारपेटा जिले के ढकलीपारा इलाके में स्थित ‘मदरसे शेखुल हिन्द महमूदुल हसन अमीउल हुडा इस्लामिक अकादमी’कर दिया था, जो सरकारी जमीन पर अवैध रूप से बना था। इसमें राष्ट्र विरोधी और जिहादी गतिविधियों हो रही थी। इससे पहले 4 अगस्त को मोरीगाँव जिले के मोइराबारी इलाके में जमीउल हुडा मदरसा को ढहा दिया था।
उ.प्र.में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की संख्या 16,513 है। इसके अलावा 558 मदरसे सरकार से अनुदानित हैं। सरकार के मदरसों और गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की तुलना की जाए तो संसाधनों और व्यवस्था का अन्तर साफ तौर पर सामने आ जाएगा। इसे देखते हुए ही ‘राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग’ ने राज्यों को मदरसों के सर्वे कराने का आदेश दिया था। अब योगी सरकार ने भी इस आदेश के अनुपालन को जरूरी समझते हुए गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के सर्वे का निर्णय लिया है। इन मदरसों का सर्वे इसलिए भी जरूरी है, क्यों कि उन्हें चलाने वाली संस्था के बारे में पूरी जानकारी मिल सके। उन्हें चलाने के लिए कहाँ से धन मिल (फांडिग) हो रही है,यह भी सामने आ सके। वैसे यह कहा जाता है कि इन्हें अरब देशों से इस्लामीकरण के लिए धन उपलब्ध कराया जाता है।

इस सर्वे से मदरसों की वस्तुस्थिति सामने आएगी।इस सर्वे को इस नजरिये से देखा जाना चाहिए इनमें पढ़ रहे छात्र-छात्राएं के लिए मूलभूत सुविधाएँ भी बढ़ाई जा सकेंगीं। सृदृढ़ भवन, पीने काजल, फर्नीचर और योग्य शिक्षकों की आवश्यकता हर विद्यालय को होती है। मदरसों को भी है, लेकिन यह आँकड़ा/डाटा उपलब्ध होने पर ही की जा सकती है। उसी के अनुसार योजना तैयार की जा सकेगी। इस सर्वे से मदरसों का डाटा तैयार होे सकेगा और यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि किन क्षेत्रों में सुधार की ज्यादा जरूरत है।
वर्तमान में मदरसों ने अपने ही आसपास एक ऐसा माहौल बना लिया है,जिससे वे खुद तो बाहर आना नहीं चाहते। उनका प्रबन्धन भी यह नहीं चाहता कि कोई उनके बारे में कुछ पता करे । इसी स्थिति के कारण अब तक शिक्षा की मुख्य धारा में सम्मिलित न हो सके हैं।

वैसे भी ओवैसी की पार्टी संविधान और जम्हूरियत दुहाई देते रहे हैं उनका मकसद मुसलमानों हिन्दुओं का डर दिखाकर महज सियासती कामयाबी हासिल करना नहीं है, बल्कि अपने पुरखों के ख्वाबों को पूरा करना है,जो हैदराबाद की रियासत का पाकिस्तान में शामिल करना चाहते हैं। वह भाजपा और हिन्दू संगठनों पर उन्हें नफरत की सियासत,साम्पद्रायिक सौहार्द बिगाड़ने के झूठे इल्जाम लगाकर हमलावर बनते हुए देशभर में इस्लामिक कट्टरपंथियों की देश विरोधी गतिविधियों,कई तरह से किये जा रहे मतान्तरण खास कर ‘लव जिहाद’के जरिए को छुपाते हुए मुसलमानों को पीड़ित साबित करने लगे रहते हैं। असदुद्दीन ओवैसी के इस मकसद को टी.वी.चैनलों से बढ़ावा मिल रहा है। ये उनके हर बयान को जरूरत से दिखा कर तथा उनकी पार्टी के प्रवक्ता अपने जहरीले बयानों से इस्लामिक कट्टरता फैलाकर हिन्दुओं को अपमानित करके उन्हें भड़काने में लगे रहते हैं।
वैसे अब मुसलमानों को यह तय करना हैं कि वे ओवैसी के विचारों के साथ हैं या फिर अपने बच्चों को सही तालीम दिलाने के लिए मदरसों की हालत में अच्छे बदलाव चाहते हैं। फिर जाँच या सर्वे के बाद इन मदरसों के आतंकवादी गतिविधियों से मुक्त होना का प्रमाणपत्र मिल जाएगा।
 

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