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देवी चित्रलेखा जी श्री सुदामा चरित्र, भागवत सार}

आगरा

आगरा। ,श्री खाटूश्याम जी स्वयं सेवक परिवार द्वारा आयोजित भागवत कथा मैं आज देवी चित्रलेखा जी के मुख से श्रीमद भागवत कथा में कहा सच्चा वैष्णव दुख हो या सुख दोनों परिस्थिति में समान रहता है। सुख में न वो फूलता है और दुख में वो न डूबता है।
- देवी चित्रलेखाजी
सुख में मनुष्य सरकती रेती जैसा बन जाता है, समय कब बीत गया पता ही न चला और दुख में मनुष्य के हृदय में कांटा जैसा चुभता है, लेकिन दोनों ही स्थिति में वैष्णव को स्थिर रहना चाहिए।
जीवन में कई बार बहुत सारी ऐसी बातें होती हैं जो हमे अच्छी नहीं लगती हैं लेकिन तब भी ये विश्वास रखना चाहिए कि भगवान जो करे सो भली करे। जिस प्रकार माँ बाप अपने सन्तान की रक्षा करते हैं उसी प्रकार अपने भक्तों की रक्षा भी भगवान करते हैं।
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कथा के सप्तम दिवस में आज पूज्या देवी चित्रलेखाजी ने कथा आरंभ करते हुए भगवान् के 16,108 विवाह का वर्णन करते हुए बताया कि भगवान् की 8 मुख्य पटरानी हुए और बताया कि एक भौमासुर नामक दैत्य 1,00,000 कन्याओं के साथ विवाह करने के उद्देश्य से उन्हें बंदी बना कर रख रहा था ।
तब उन कन्याओं के जीवन की रक्षा के लिए भगवान् ने उस दैत्य का संहार किया और उन कन्याओं को कैद से बचाया मगर जब कन्याओं ने कहा कि इतने वक़्त परिवार से दूर रहने के बाद उन्हें कौन स्वीकार करेगा। तो उन्हें इस लांछन से बचाने के लिए भगवान् ने उन 16,100 कन्याओं से विवाह किया।
इसके बाद श्री परीक्षित जी ने श्री सुखदेव जी से भगवान् के भक्त और परम मित्र की कथा सुनाने का आग्रह किया और सुखदेव जी ने उन्हें श्री सुदामा जी महाराज की कथा सुनाई बताया कि सुदामा नाम के एक गरीब ब्राह्मण जिनकी प्रारंभिक शिक्षा भगवान् कृष्ण के साथ एक गुरुकुल में हुई थी।
सुदामा जी एक विरक्त ब्राह्मण थे। अपनी हर स्थिति परिस्थिति के लिए भगवान् को ख़ुशी ख़ुशी धन्यवाद देने वाले।
आज अपनी परिस्थितियों में अपनी पत्नी के कहने पर भगवान् से मिलने गए । और जब घर वापस आये तो भगवान् ने कृपा कर के उनकी झोपड़ी की जगह आलिशान महल बना दिया पर वो आदर्श सुदामा जी उस महल के त्यागकर उसके नजदीक एक कुटिया बना कर रहे और जीवन यापन किया।
इसके पश्चात कथा के मुख्य प्रसंगों को श्रवण करा के कथा सार सुनाया और फिर शाप की अवधि के अनुसार सुखदेव जी ने वहां से प्रस्थान किया परीक्षित जी ने खुद को भगवान् में लीन कर लिया और तक्षक नाग ने उन्हें डंसा ।
इस सब के पश्चात कथा के विश्राम से पहले फूल होली का उत्सव हुआ और महा आरती के साथ सप्तम दिवस की कथा को विश्राम दिया गया ।


श्रीमद् भागवत के सप्तम दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्तिथ रहे श्याम भदौरिया,श्रीमती मधु बघेल व श्रीमति प्रीति उपाध्याय ।अतिथियों ने कथा का आनंद लिया व श्री सुदामा चरित्र, भागवत सार को सुनकर देवी जी से आशीर्वाद लिया।भागवत कथा के मुख्य यजमान राजीव अग्रवाल{कपड़े वाले) व उनकी धर्मपत्नी श्रीमती रचना अग्रवाल।आज के दैनिक यजमान:अमित मित्तल व गीता ,किशोर अग्रवाल व रूपाली, महेश अग्रवाल व स्वीटी, मनीष व डिम्पल, मनीष व ममता,अजय व रंजना , अभिनव व शिवानी , संजीव गोयल व अंजु, छमा जैन आदि।
आज की देवी चित्रलेखा की कथा में मुख्य रूप से उपस्थित रहे संस्थापक अमित अग्रवाल व गुंजन, संयोजक टीटू गोयल व नीलम, कोषाध्यक्ष अनूप अग्रवाल व अंजलि,संदीप व मोनिका, मोहित व नीतू,मनीष व डिम्पल, संजीव व रूबी,अभिनव व शिवानी,लल्ला भाई व आशा,मुकेश गोयल व अंजलि,सत्यप्रकाश व कोमल, योगेश व नीलम,निमेश व प्राची, दीपेश व नगीना,अमित बंसल व प्रथा,ऐस.के अग्रवाल व ऊषा,सुरेश चंद लवानियाँ, गोर्धन सिंह आदि उपस्थित रहे।

आज के कार्यक्रम का विवरण

दैनिक कार्यक्रम

आप सादर आमंत्रित है।

शुक्रवार 06 जनवरी 2023 शाम 7 बजे से खाटु श्याम जी की भजन संध्या व छप्पन भोग।

मुख्य आकर्षण: भव्य दरबार,अखंड ज्योति दर्शन,आलोकिक शृंगार,मधुर संकीर्तन,इत्र की वर्षा,पुष्पों की वर्षा।

आमंत्रित गायक एवं कलाकार
सौरभ शर्मा {कोलकाता से} सोनू गर्ग व संजीव दुबे,आगरा से

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