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इस मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की फीस 40 प्रतिशत घटाई गई....

फीस रेगुलेटिंग अथॉरिटी ( एफआरए ) ने सत्र 2022-23 के लिए महाराष्ट्र के सांगली प्रकाश इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस के एमबीबीएस कोर्स की सालाना ट्यूशन फीस 40 फीसदी घटा दी है।

महाराष्ट्र के किसी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस करना चाह रहे स्टूडेंट्स के लिए काम की खबर है। फीस रेगुलेटिंग अथॉरिटी ( एफआरए ) ने सत्र 2022-23 के लिए सांगली प्रकाश इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस के एमबीबीएस कोर्स की सालाना ट्यूशन फीस 40 फीसदी घटा दी है। सांगली प्रकाश इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस की ट्यूशन फीस अब 8.4 लाख से घटाकर 4.8 लाख रुपये कर दी गई है। राज्य में स्टूडेंट्स के बीच डिमांड में रहे अन्य कुछ प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों ने फीस बढ़ाने की मांग नहीं की। जबकि कुछ अन्य मेडिकल कॉलेजों ने फीस में 50 हजार से डेढ़ लाख तक की वृद्धि की है। महाराष्ट्र के किसी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस करना चाह रहे स्टूडेंट्स के लिए काम की खबर है। फीस रेगुलेटिंग अथॉरिटी ( एफआरए ) ने सत्र 2022-23 के लिए सांगली प्रकाश इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस के एमबीबीएस कोर्स की सालाना ट्यूशन फीस 40 फीसदी घटा दी है। सांगली प्रकाश इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस की ट्यूशन फीस अब 8.4 लाख से घटाकर 4.8 लाख रुपये कर दी गई है। राज्य में स्टूडेंट्स के बीच डिमांड में रहे अन्य कुछ प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों ने फीस बढ़ाने की मांग नहीं की। जबकि कुछ अन्य मेडिकल कॉलेजों ने फीस में 50 हजार से डेढ़ लाख तक की वृद्धि की है। 

एफआरए प्रमुख रिटायर्ड जस्टिस विजय लखीचंद आचिल्या ने कहा कि कॉलेजों की ओर से एनआरआई स्टूडेंट्स से ली जाने वाली फीस (जिसे एक एडिश्नल इनकम माना जाता है) के आधार पर फीस बढ़ोतरी को मामूली रखा गया है। उन्होंने कहा कि पर्याप्त सबूतों के आधार पर कॉलेज पुनर्विचार का अनुरोध कर सकते हैं।

पुणे का काशीबाई नवाले कॉलेज राज्य के सबसे अधिक फीस वाले प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की लिस्ट में दूसरे स्थान पर है। यहां फीस मामूली बढ़ाकर 13.91 लाख की गई है। 

महाराष्ट्र में छह मेडिकल कॉलेजों ने अपनी फीस नहीं बढ़ाई है। इसमें तालेगांव का एमआईएमईआर, लातूर का एमआईएमएसआर, सोलापुर का अश्विनी मेडिकल कॉलेज, नासिक एसएमबीटी कॉलेज, चिपलून का वालावल्कर कॉलेज और जालना में JIIU का IIMSR शामिल हैं। ये मेडिकल कॉलेज इस साल पिछले साल वाली फीस ही लेंगे। एसीपीएम धुले, एसएसपीएम मेडिकल कॉलेज सिंधुदुर्ग, वेदांता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (जिसकी पिछले साल 16.3 लाख फीस थी) ने अभी फीस पर फैसला नहीं लिया है क्योंकि प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की 50 फीसदी सीटों की फीस सरकारी मेडिकल कॉलेज जितनी रखने का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

आपको बता दें कि नेशनल मेडिकल काउंसिल के दिशानिर्देशों में कहा गया है कि निजी मेडिकल कॉलेज ( Private Medical Colleges fees ) और मानद (डीम्ड) विश्वविद्यालयों में 50 प्रतिशत सीट के लिए उतनी ही फीस ली जानी चाहिए, जितनी की संबंधित राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेज द्वारा वसूली जा रही है। इन 50 सीटों पर उन छात्रों को एडमिशन मिलेगा, जिन्हें सरकारी कोटे के तहत सीट मिली है। देश में एमबीबीएस और पीजी की सीटें सवा लाख के करीब हैं, जिनमें 60 फीसदी के करीब निजी क्षेत्र में हैं। 

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