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अब खेल-खेल में सीखेंगे बच्चे; गणित को छोड़ 30 मिनट से ज्यादा की नहीं होगी कोई क्लास

अब स्‍कूलों में बच्चे खेल-खेल में पढ़ेंगे और सीखेंगे। जिस विषय या क्षेत्र में बच्चे कमजोर होंगे उस पर ज्यादा ध्यान देकर निखारा जाएगा। सरकार ने कैरीकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) लॉन्‍च किया है। इसका आधार पारंपरिक भारतीय शिक्षा शास्त्र के पंचकोष विकास सिद्धांत को बनाया गया है। जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। स्कूल अब बच्चों के लिए रुचिकर होंगे, जहां बच्चे खेल-खेल में पढ़ेंगे और सीखेंगे। उनके आसपास के वातावरण और विकास की लगातार मैपिंग भी होगी, ताकि उन्हें उसी दिशा में आगे बढ़ाया जा सके। जिस विषय या क्षेत्र में बच्चे कमजोर होंगे, उस पर ज्यादा ध्यान देकर निखारा जाएगा। कैरीकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) का आधार पारंपरिक भारतीय शिक्षा शास्त्र के 'पंचकोष विकास' सिद्धांत को बनाया गया है। इसके तहत बच्चों के शारीरिक, प्राणमय, मानसिक, बौद्धिक और चेतना कोष पर फोकस किया जाएगा।

 स्कूल अब बच्चों के लिए रुचिकर होंगे, जहां बच्चे खेल-खेल में पढ़ेंगे और सीखेंगे। उनके आसपास के वातावरण और विकास की लगातार मैपिंग भी होगी, ताकि उन्हें उसी दिशा में आगे बढ़ाया जा सके। जिस विषय या क्षेत्र में बच्चे कमजोर होंगे, उस पर ज्यादा ध्यान देकर निखारा जाएगा। कैरीकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) का आधार पारंपरिक भारतीय शिक्षा शास्त्र के 'पंचकोष विकास' सिद्धांत को बनाया गया है। इसके तहत बच्चों के शारीरिक, प्राणमय, मानसिक, बौद्धिक और चेतना कोष पर फोकस किया जाएगा।

बच्चों को पर्याप्त फ्री टाइम देने की व्यवस्था

बुनियादी स्तर के फ्रेमवर्क में इन्हें महत्व दिया गया है। पाठ्यक्रम में कहानी व खेल आदि को शामिल किया जाएगा, जिनसे उनका पूर्ण विकास हो सके। बुनियादी स्तर (फाउंडेशनल स्टेज) के फ्रेमवर्क में बच्चों को पर्याप्त फ्री टाइम देने की व्यवस्था की गई है। यही वजह है कि गणित को छोड़कर कोई भी क्लास 30 मिनट से ज्यादा की नहीं होगी। इस दौरान भी बच्चों की ज्यादातर पढ़ाई उन्हें अलग-अलग गतिविधियों से जोड़कर कराई जाएगी, जो रुचिकर और जल्द सीखने वाली होगी।

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पाठ्यक्रम की रूपरेखा तैयार

इस स्तर पर बच्चों के लिए तीन लक्ष्य रखे गए हैं। पहला-बेहतर स्वास्थ्य और अच्छी समझ, दूसरा-बोलचाल में दक्षता और तीसरा-लगातार सीखने की प्रवृत्ति को विकसित करना है। स्कूली शिक्षा के बुनियादी स्तर के लिए शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने गुरुवार को नेशनल कैरीकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) जारी किया। इसके तहत स्कूलों में बालवाटिका (प्ले स्कूल) के तीन साल और पहली व दूसरी कक्षा के पाठ्यक्रम की रूपरेखा तैयार की गई है।

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स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में सबसे बड़ा कदम

प्रधान ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बाद इसे स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में सबसे बड़ा कदम बताया। कहा, बच्चों की शुरुआती शिक्षा बेहतर होगी, तो आगे भी शिक्षा बेहतर ही रहेगी। बच्चों के 85 प्रतिशत मस्तिष्क का विकास इसी काल में होता है। इस पूरे फ्रेमवर्क को तीन से आठ साल की उम्र के बच्चों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत स्कूली शिक्षा के चार चरण तय किए गए हैं। यह 5, प्लस 3, प्लस 3, प्लस 4 होगा। इससे पहले स्कूली शिक्षा में सिर्फ दो ही स्तर थे-10 प्लस 2।

जल्द ही स्कूली शिक्षा के दूसरे स्टेज का भी फ्रेमवर्क होगा जारी

बुनियादी स्तर के बाद शिक्षा मंत्रालय ने जल्द ही दूसरे स्टेज का फ्रेमवर्क भी जारी करने का संकेत दिया है। मंत्रालय का मानना है कि फरवरी तक स्कूली शिक्षा के सभी स्टेज का फ्रेमवर्क जारी हो जाएगा। बुनियादी स्तर के लिए तैयार फ्रेमवर्क को एनसीईआरटी को सौंप दिया गया है। यह अब इसके मुताबिक पाठ्यक्रम तैयार करेगा। प्रधान ने इसे बसंत पंचमी तक तैयार करने का लक्ष्य दिया है। इस मौके पर शिक्षा मंत्री ने देश के 49 केंद्रीय विद्यालयों में प्रायोगिक तौर पर बालवाटिका ( प्ले स्कूल) की शुरुआत भी की। 

 

 

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