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जिला महिला अस्पताल में सुरक्षित गर्भ समापन विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन, असुरक्षित गर्भपात मातृ मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक : सीएमओ

आगरा

जिला महिला अस्पताल (लेडी लॉयल) में सुरक्षित गर्भ समापन या गर्भापात विषय पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और आईपास संस्था के सहयोग से तीन दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के सात चिकित्सा अधिकारियों को एमटीपी एक्ट में संशोधन 2021 के अनुसार अब दवाओं के द्वारा गर्भपात कराने की विधि के उपयोग के बारे में प्रशिक्षित किया गया, साथ ही उन्हें गर्भ समापन के बाद गर्भ निरोधक साधनों के उपयोग के बारें में बताया गया|

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि असुरक्षित गर्भपात मातृ मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है| और यह महिला का विधिक अधिकार भी है।

गर्भ समापन सेवा के नोडल अधिकारी डॉ. एसके राहुल ने बताया कि सुरक्षित गर्भ समापन केवल अधिकृत अस्पताल में प्रशिक्षित चिकित्सक से ही कराना चाहिए। उसके बाद परिवार नियोजन के साधन का अवश्य उपयोग करना चाहिए। ऐसा नही करने से दोबारा गर्भधारण की आशंका प्रबल होती है। यह स्थिति मां की सेहत के लिए खतरनाक होती है।

नोडल अधिकारी ने बताया कि देश में आठ फीसदी मातृ मृत्यु केवल असुरक्षित गर्भ समापन के कारण हो जाती है। जानकारी के अभाव एवं अन्य कारणों से भी महिलाएं या उनके अभिभावक अप्रशिक्षित व्यक्ति से गर्भ समापन का प्रयास करते हैं, जो महिला के जीवन के लिए हानिकारक साबित होता है। गर्भ समापन सिर्फ प्रशिक्षित चिकित्सक ही करते हैं। किसी भी अन्य स्वास्थ्य कर्मी, स्टॉफ नर्स या पैरामेडिकल को यह करने का अधिकार नहीं है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से अनुमति के बाद ही कोई निजी अस्पताल यह करने के लिए अधिकृत है। प्रशिक्षित चिकित्सक की उपलब्धता वाले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी 12 सप्ताह तक की प्रेग्नेंसी की स्थित में सुरक्षित गर्भ समापन की सेवा दे सकते हैं।

जिला महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. नीलम रानी ने बताया कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1971 में हुए संशोधन के बाद अब विशेष परिस्थितियों में 20 सप्ताह की बजाये 24 के भीतर तक सुरक्षित गर्भ समापन की अनुमति है। 24 सप्ताह से ज्यादा की स्थिति में मेडिकल बोर्ड की अनुमति आवश्यक है। गर्भ समापन के पहले 18 वर्ष से अधिक उम्र की महिला की खुद की सहमति जबकि इससे कम उम्र की स्थिति में संरक्षक की सहमति फार्म पर अनिवार्य है। लिंग भेद के आधार पर गर्भ समापन अवैध है और ऐसा करना दंडनीय भी है।

इस कार्यक्रम को मजबूती प्रदान करने के लिए आईपास संस्था के प्रतिनिधि आलोक चतुर्वेदी का सहयोग रहा। प्रशिक्षण डॉ. वंदना, डॉ. ममता किरण और डॉ. रुचि रानी ने दिया।

प्रशिक्षण कार्यक्रम में डॉ. गीता मिश्रा, डॉ. वीनम चतुर्वेदी, डॉ. शालिनी शर्मा, डॉ. राकेश यादव, डॉ. मुकेश कुमार, डॉ. हर्षित कुमार जैन, डॉ. ललित कुमार ने प्रतिभाग किया।

इन परिस्थितियों में है अधिकार
-महिला मानसिक तौर पर विक्षिप्त हो
--बच्चे में कोई ठीक न होने वाले विकृति हो
-रेप से हुई प्रेग्नेंसी
--परिवार नियोजन के साधन विफल होने पर
-वैवाहिक स्थिति में बदलाव
--अल्पवयस्कता में प्रेग्नेंसी

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