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गुरुपूर्णिमा पर काव्य गोष्ठी संपन्न हुई

विनोद सिंह गुर्जर

(धामनोद) अखिल भारतीय साहित्य परिषद तहसील इकाई धरमपुरी के तत्वावधान में गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष में श्री पारेश्वर सेवाधाम धामनोद में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया ।कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि संत श्यामदासजी महाराज पारेश्वर सेवाधाम धामनोद ,अध्यक्षता कर रहे राजपुर के वरिष्ठ साहित्यकार प्रमोद त्रिवेदी पुष्प एवं विशेष अतिथि द्वय महू के अस्थाना जी एवं कवि विनोद सिंह गुर्जर द्वारा दीप प्रज्वलित कर माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण करके किया गया तत्पश्चात सभी कवियों का तिलक लगाकर स्वागत किया गया ।कार्यक्रम की शुरुआत में "धामनोद में पधारो माँ वीणा वादिनी" सरस्वती वंदना डॉ ललिता लहर जायसवाल इंदौर ने प्रस्तुत की तत्पश्चात कवियों ने विविध विषयों पर अपनी कविताएं प्रस्तुत की ।सर्वप्रथम हुकुम पाटीदार धामनोद ने अपनी रचना  में जीवन के अंतिम पड़ाव का खूबसूरती से वर्णन किया, राजपुर के गजलकार दिलीप कुशवाह ने "प्यार मीरा की पीर जैसा है,
 प्यार तुलसी कबीर जैसा है' 
प्यार को भूल कर तुम देखो,
 प्यार कुमकुम अबीर जैसा है" रचना सुनाई ,राजपुर के महेश गुप्ता राही ने "मनभावन होती सब उसकी बातें
मन को वह सदा ही लुभाता रहा।
हारने न दिया कभी किसी खेल में ,
खुद हार कर मुझे ही जिताता रहा " प्रस्तुत की ।परिषद के तहसील अध्यक्ष ओमप्रकाश कुशवाह धामनोद ने "गुरू माता पिता गुरू बंधु सखा तेरे चरणों में गुरू मेरा कोटि प्रणाम" गुरु वंदना और "बरसों रे बरसों रे, धरती रानी के अंगना बरसों रे " वर्षा ऋतु का गीत सुनाया ,संयोग से उसी समय तेज वर्षा भी शुरू हो गई थी जिस पर सभी ने करतल ध्वनि से स्वागत किया। धामनोद के नंदकिशोर विश्वकर्मा ने अपनी चिर परिचित शैली में चीन पाकिस्तान को निमाड़ी में जबरदस्त फटकार लगाई ।राजपुर के डॉ अपूर्व शुक्ला ने "धन्य हुई धरा कुंभल की
और उनके आने से तिथि धन्य हुई।
बप्पा रावल के वंश में 
फिर ना कोई संताप हुआ ।
प्रताप समेटने राजपूताना 
उदय जी के घर फिर प्रताप हुआ" ओजस्वी काव्य पाठ किया,डॉ ललिता लहर जायसवाल ने अकेली कामकाजी महिला पर ,,भला किसे पसंद हैं,,बहुत मार्मिक कविता सुनाई ।विशेष अतिथि महू के विनोद सिंह गुर्जर ने "तेरी बनाई दुनिया में वो रीति ना रही,अब आदमी को आदमी से प्रीत ना रही" सुंदर रचना प्रस्तुत की ।विशेष अतिथि महू के अस्थाना जी ने हास्य व्यंग्य की रचनाएँ प्रस्तुत की।डॉ रामकृष्ण मलतारे ने आजकल के बच्चों पर हास्य व्यंग्य रचना सुनाई ।इटावदी महेश्वर के मनीष कुमार पाटीदार ने "आयो पाणी बाबो जोर-सोर सी,नद्दी-नाळो आयो जोर-सोर सी" निमाड़ी गीत प्रस्तुत किया,लुन्हेरा खुर्द के महेश कुमार सूर्यवंशी ने किसानों की समस्या पर रचना पढ़ी ,कार्यक्रम के अध्यक्ष राजपुर के प्रमोद त्रिवेदी पुष्प ने "जसी जनता छे,वसी सरकार छे, 
खुद लूटऽ सब लूटऽ
तमकऽ कई करनुज" अपनी प्रसिद्ध रचना सुनाई और खूब दाद बटोरी ।संचालन कर रहे खलघाट के कवि विजय शर्मा ने वर्षा ऋतु पर घनाक्षरी छंद "मेघा आये घन-घन,, बिजुरिया चम-चम " और "गर्मी की फुंसी रे तेरा दरद बहुत ही होय" हास्य गीत सुनकर सबको खूब गुदगुदाया ।अपने उद्बोधन में संत श्यामदास जी महाराज ने श्रेष्ठ साहित्य का महत्व बताते हुए इस सारस्वत आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए सभी को गुरुपूर्णिमा पर्व की बधाई और शुभकामनाएँ दी।
संचालन खलघाट के कवि विजय शर्मा ने किया एवं आभार सेवानिवृत्त कृषि विभाग के अधिकारी गुप्ता जी ने किया ।।

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