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भक्ति, ज्ञान, वैराग्य और मुक्ति दायिनी है भागवत कथा

डॉ दीपिका उपाध्याय

आगरा। ‘श्रीमद्भागवत कथा भक्ति, ज्ञान और वैराग्य की त्रिवेणी है। जहां भक्ति का प्रादुर्भाव होता है वहां मुक्ति स्वयं ही प्रकट हो जाती है। भक्ति पाखंड से दूषित ही नहीं होती बल्कि क्षीण भी हो जाती है, इसलिए भक्ति हृदय से, भाव से करनी चाहिए ना कि केवल कोरे दिखावे के लिए।’
भक्ति की व्याख्या करते हुए उक्त उद्गार कथावाचक डॉ दीपिका उपाध्याय ने कहे।
गुरुदीपिका योगक्षेम फाउंडेशन के तत्वावधान में भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। पुरुषोत्तम मास के शुभ अवसर पर दयालबाग के श्रीगोपालजी धाम में चल रही कथा का आज प्रथम दिवस था।
ब्रह्मलीन द्विपीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती जी की शिष्या डॉ दीपिका उपाध्याय ने कथा का आरंभ देवर्षि नारद तथा भक्ति के संवाद से किया। कलयुग के दोषों के कारण क्षीण हो चुके ज्ञान और वैराग्य को सनत्कुमारों ने भागवत कथा के द्वारा नवजीवन दिया।
कथावाचक ने बताया कि इसी अवसर पर श्रीहरि ने वरदान दिया कि जिस स्थान पर श्रीमद्भागवत कथा सुनाई जाएगी, वे अपने पार्षदों तथा भक्ति, ज्ञान और वैराग्य के साथ वहां अवश्य पहुंचेंगे।
अश्वत्थामा को अर्जुन द्वारा बंदी बनाने का प्रसंग सुनाते हुए कथावाचक ने कहा कि भगवान ऐसे अवसरों पर भी भक्तों की परीक्षा लेने से नहीं चूकते। अपने पुत्रों की हत्या से व्यथित होकर भी अर्जुन ने धर्म का साथ नहीं छोड़ा और गुरु पुत्र का वध नहीं किया। धर्म का परित्याग ना करने के कारण ही पांडवों में से अर्जुन ही भगवान कृष्ण को सबसे ज्यादा प्रिय थे।
परीक्षित के जन्म का प्रसंग सुनाते हुए कथावाचक डॉ दीपिका उपाध्याय ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तरा के गर्भ की रक्षा कर पांडवों के वंश को बचा लिया। यह प्रसंग बताता है कि जो स्वयं को पूरी तरह से भगवान को समर्पित कर देता है, भगवान उसकी रक्षा ही नहीं करते बल्कि उसका हित चिंतन भी करते हैं।
भगवान वाराह अवतार की कथा सुनाते हुए कथावाचक ने कहा कि भगवान का वाराह के रूप में अवतरित होना यह सिद्ध करता है कि प्रत्येक प्राणी सृष्टि में बड़ा महत्वपूर्ण है। वाराह की घ्राणशक्ति के कारण ही भगवान ने उस रूप में आकर धरती को उसके स्थान पर स्थित किया। अपने पार्षद जय विजय को सनत्कुमारों के श्राप से मुक्त कराने को भगवान ने वाराह अवतार धारण किया और धरती का उद्धार किया।
गुरुदीपिका योगक्षेम फाउंडेशन की निदेशक वारिजा चतुर्वेदी ने बताया कि इस बार 19 वर्ष बाद श्रावण मास में पुरुषोत्तम मास का संयोग हुआ है, इसलिए इस पुण्य अवसर पर फाउंडेशन द्वारा भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। फाउंडेशन की ओर से सभी व्यवस्थाएं निदेशक रवि शर्मा ने संभाली। इस अवसर पर कांता शर्मा, वीणा कालरा, दीपा लश्करी आदि उपस्थित रहे।

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