आई फ्लू से घबराएं नहीं, सावधानी बरतें : डॉ उपेंद्र कुमार
डीके श्रीवास्तव
आगरा बारिश और उमस के बीच इन दिनों आई फ्लू का रिस्क तेजी से बढ़ रहा है। देश के लगभग सभी राज्यों से आई फ्लू के मरीज सामने आ रहे हैं। एकदम से आई फ्लू के बढ़ते केसेस से लोगों में डर बना हुआ है।
ऐसे में आज जरूरत की खबर में डॉ उपेंद्र कुमार से जानेंगे कि आई फ्लू क्या है, ये कैसी होता है और इससे बचने के लिए क्या करना चाहिए।
आई फ्लू या पिंक आई के नाम से जानी जाने वाली यह बीमारी कंजंक्टिवाइटिस है। आई फ्लू वैसे तो ज्यादा खतरनाक बीमारी नहीं है, लेकिन आंखों में होने के कारण ये कष्टदायक होती है। यह आम वायरल की तरह है, लेकिन यह बैक्टिरियल भी होता है। जब भी मौसम बदलता है, यह अपना असर दिखाता है। यह ज्यादातर धूल भरे मौसम में या नर्म और गर्म मौसम में फैलता है। वायरस, बैक्टीरिया फंगस के संक्रमण की वजह से आई फ्लू होता है।
क्या है कंजंक्टिवाइटिस
कंजंक्टिवाइटिस में आंखों में जलन होती है। आमतौर पर यह एक एलर्जिक रिएक्शन की वजह से होता है। लेकिन कई मामलों में बैक्टीरिया का संक्रमण भी इसके लिए जिम्मेदार होता है। श्वसन तंत्र या नाक-कान अथवा गले में किसी तरह के संक्रमण के कारण वायरल कंजंक्टिवाइटिस हो जाता है। इस संक्रमण की शुरुआत एक आंख से ही होती है, लेकिन जल्द ही दूसरी आंख भी इसकी चपेट में जाती है।
क्या हैं इसके लक्षण
- आई फ्लू में आंंखें लाल हो जाती हैं।
- आंखों से पानी आने लगता है।
- तेज जलन होती है।
- पलकों पर पीला और चिपचिपा तरल जमा होने लगता है।
- आंखों में चुभन होती है और सूजन जाती है
- तेज दर्द होता है।
- आंखों में खुजली भी होती है।
- इंफेक्शन अधिक बढ़ जाने पर आंखों में हेमरेज, किमोसिज हो जाता है पलकों में सूजन आ जाती है।
बचाव एवं सावधानियां
- बरसात के मौसम में अपने हाथों को नियमित रूप से साबुन से साफ करते रहें।
- आंखों की साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें। आंखों को ठंडे पानी से बार-बार धोएं।
- किसी भी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें।
- इस रोग के मरीज आंखों पर बार-बार हाथ न लगाएं। अगर संक्रमित आंख को छुएं, तो हाथ अच्छे से साफ करें।
- गंदगी और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें।
- संक्रमित व्यक्ति से हाथ न मिलाएं और उनकी चीजें चश्मा, तौलिया, तकिया आदि न छुएं।
- अपना तौलिया, रुमाल चश्मा आदि किसी के साथ शेयर न करें।
- इस सीजन में स्विमिंग करने से बचें।