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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पुण्यतिथि के अवसर पर कुष्ठ रोगियों को दी गईं एमसीआर चप्पल - जनपद में विभिन्न स्थानों पर हुए जागरुकता कार्यक्रम

डीके श्रीवास्तव

आगरा। कुष्ठ का उपचार ले चुके या उपचाराधीन कुष्ठ रोगी से समाज में संक्रमण का कोई खतरा नहीं है। ऐसे लोगों के साथ रहा जा सकता है और उनके साथ विवाह भी किया जा सकता है । समाज को खतरा उन रोगियों से है जो लक्षण के बावजूद भय, भ्रांति, कलंक और भेदभाव के कारण कुष्ठ की जांच नहीं करा पाते हैं । इस संदेश के साथ साथ ‘‘भेदभाव का अंत करें, सम्मान को गले लगाएं’’, की थीम को साकार करने का पूरे जिले में मंगलवार को संकल्प लिया गया । महात्मा गांधी की पुण्यतिथि को कुष्ठ दिवस के रूप में मनाया गया । साथ ही साथ 14 दिनों तक चलने वाला स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान भी शुरू हो गया । इस संबंध में जिलाधिकारी का संदेश भी सभी लोगों को पढ़ कर सुनाया गया । जिले की सभी सीएचसी, पीएचसी और ब्लॉक पर अधिकारियों और कर्मचारियों ने कुष्ठ मुक्त जनपद के लिए जनजागरूकता की शपथ ली ।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि कुष्ठ रोग कोई दैवीय आपदा या ईश्वर का शाप नहीं है. बल्कि यह एक बीमारी है, जो किसी को भी हो सकती है. कुष्ठ रोग को शाप या छुआछूत का रोग समझकर कुष्ठ रोगी से भेदभाव न करें. 

ताजगंज स्थित गांधी ग्राम कुष्ठ आश्रम में जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डॉ. सीएल यादव ने महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करके स्पर्श कुष्ठ जागरुकता अभियान का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने डीएम का घोषणा पत्र पढ़ा और गांधी ग्राम कुष्ठ आश्रम में सभी कर्मचारियों को कुष्ठ मिटाने के लिए शपथ दिलाई गई। इसके साथ ही गांधी ग्राम कुष्ठ आश्रम में 120 व कुष्ठ सेवा सदन में 15  कुष्ठ रोगियों को फल, एमसीआर चप्पल, वैशाखी व रूई, पट्टी और दवाइयों का वितरण किया । इस अवसर पर कुष्ठ रोग से बचाव और उपचार के संबंध में भी जानकारी दी गई।
डीएलओ डॉ. सीएल यादव ने बताया कि कुष्ठ रोग से जुड़े कलंक और भेदभाव की समस्या को दूर करने के लिए 30 जनवरी 2017 से स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान की पूरे देश में शुरूआत की गयी थी । इसके तहत 14 दिनों तक स्कूल, कॉलेज, ग्राम सभा, स्वास्थ्य और पोषण से जुड़े सत्र स्थलों और विभिन्न सामुदायिक प्लेटफार्म के जरिये लोगों को बीमारी के लक्षणों और उपचार के बारे में जानकारी दी जाएगी । उन्हें बताया जाएगा कि कुष्ठ के लक्षण दिखने पर आशा, एएनएम या बहुद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता की मदद से स्वास्थ्य केंद्र पर जांच कराएं और सम्पूर्ण इलाज पाएं । 

डीएलओ ने बताया कि पासी बेसिलाई (पीबी) कुष्ठ रोग का इलाज छह माह में और मल्टी बेसिलाई (एमबी) कुष्ठ रोग का इलाज साल भर में पूरा हो जाता है । समय से जांच और इलाज न करवाने पर यह बीमारी दिव्यांगता और विकृति का रूप ले सकती है । कुष्ठ अधिक संक्रामक बीमारी नहीं है और यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक आसानी से नहीं पहुंचता है। एक बार उपचार शुरू होने के बाद संक्रमण की आशंका शून्य हो जाती है । इसका उपचार सभी ब्लॉक स्तरीय अस्पतालों पर उपलब्ध है । कुष्ठ रोगी को परिवार और समुदाय से अलग नहीं करना है। वे सामाजिक कार्यक्रमों में भी हिस्सा ले सकते हैं ।

डिप्टी डीएलओ डॉ. ध्रुव गोपाल ने बताया कि अगर शरीर पर चमड़ी के रंग से हल्का कोई भी सुन्न दाग धब्बा हो तो कुष्ठ की जांच अवश्य करानी चाहिए । हल्के रंग के व्यक्ति की त्वचा में गहरे और लाल रंग के भी धब्बे हो सकते हैं। हाथ या पैरों की अस्थिरता या झुनझुनी, हाथ पैर व पलकों में कमजोरी, नसों में दर्द, चेहरे या कान में सूजन अथवा घाव और हाथ या पैरों में दर्द रहित घाव भी इसके लक्षण हैं । तुरंत जांच और इलाज से मरीज ठीक हो जाता है और सामान्य जीवन जी सकता है।

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