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संत श्री आशारामजी का "माता-पिता पूजन दिवस" उत्सव समाज के बच्चों को दे रहा नई दिशा, गौरव गोयल

उत्तराखंड

रुड़की।माता-पिता ही पृथ्वी पर के वास्तविक देव है,ऐसा संदेश देता हुआ एक सुंदर महोत्सव ढन्डेरा के अशोक नगर स्थित पैलेस में संपन्न हुआ,जैसा कि चौदह फरवरी को पूज्य संत श्री आसारामजी बापू के आह्वान पर वर्ष 2006 से प्रतिवर्ष मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाया जाता है।पूज्य संत श्री आशारामजी बापू प्रेरित युवा सेवा संघ,श्री योग वेदान्त सेवा समिति एवम महिला उत्थान मंडल (रूड़की शाखा) द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में रुड़की से बसों से भरकर सैकड़ों बच्चे इस कार्यक्रम को मनाने हेतु अपने शिक्षकों एवम प्रधानाध्यापक संग आए।इस कार्यक्रम में बच्चों ने अपने माता-पिता को तिलक किया,पुष्पार्पण,माला पहनाकर,आरती एवम परिक्रमा कर पूजन किया।भावपूर्वक निहारा एवम् विधिवत प्रणाम किया,इसके पश्चात माता-पिता ने भी बच्चों को अक्षत तिलक लगाया,पुष्प माला पहनाकर शुभाशीष दिया।बच्चों ने अपने माता-पिता को गले लगाया। इस मनोहर दृश्य देख सभी के दिलों की भावनाएं आंखों से बह निकले।प्रत्येक व्यक्ति की आँखें माता-पिता के पवित्र प्रेम के भावों से नम हो गईं।यह दृश्य बड़ा ही विलक्षण और विहंगम था।कार्यक्रम के अतिथि रूड़की के निवर्तमान मेयर गौरव गोयल ने संत श्री आशारामजी बापू के इस प्रकल्प की खूब सराहना की एवं कहा कि यह उत्सव समाज को एक नई दिशा दे रहा है तथा इससे देश के बच्चों का भविष्य सँवरेगा।कार्यक्रम में संत श्री आशारामजी आश्रम रुड़की के संचालक प्रेम सिंह वर्मा,युवा सेवा संघ के अध्यक्ष कमल सिंह राणा,कोषाध्यक्ष सतेंद्र पाल उपस्थित रहे,इसके अलावा महिला उत्थान मंडल से पवनरेखा,मंदोदरी,मीरा त्यागी एवं श्री योग वेदांत सेवा समिति से धर्मपाल सैनी,हरेंद्र रावत आदि उपस्थित रहे।अंत में सभी ने पूज्य संत श्री आशारामजी बापू के आह्वान पर 14 फरवरी को "मातृ-पितृ पूजन दिवस" मनाने का संकल्प लिया।

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