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आंवला नवमी पर किया आँवलों से सहस्रार्चन

‘आँवले का वृक्ष भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। कार्तिक मास में तुलसी के साथ-साथ आँवले के वृक्ष की भी सेवा करनी चाहिए। आँवले के वृक्ष की सेवा सभी पापों का नाश करने वाली है, इसलिए कार्तिक मास में आँवले का पूजन सेवन एवं उससे स्नान अवश्य करें।’ कथावाचक डॉ दीपिका उपाध्याय ने आंवला नवमी की कथा सुनाते हुए उक्त प्रवचन कहे।
गुरुदीपिका योगक्षेम फाउंडेशन के तत्वावधान में आंवला नवमी के शुभ अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर भगवान विष्णु के भक्तों ने आँवले से उनका सहस्त्रार्चन किया। हरे-हरे चमकते आँवले पन्ने सी चमक बिखेरते सुशोभित हो रहे थे।
फाउंडेशन के निदेशक रवि शर्मा ने बताया कि श्रीगोपालजी धाम, दयालबाग में आँवला से सहस्त्रार्चन का यह प्रथम आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम का उद्देश्य आँवले के वृक्ष के संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक करना है। इस वृक्ष के औषधीय गुणों के कारण इसे विशिष्ट महत्व प्राप्त है। वृक्ष के संरक्षण का सबसे अच्छा तरीका है उसका महत्व बताना तथा लोगों को जागरूक करना। इस प्रकार के आयोजन इस उद्देश्य की पूर्ति में सहायक सिद्ध होते हैं। आंवला नवमी की कथा एवं सहस्त्रार्चन के उपरांत भक्तों को प्रसाद में आँवलों का वितरण किया गया तथा भंडारे का आयोजन किया गया। भगवान विष्णु का नाम संकीर्तन करते हुए आँवले के वृक्ष के संरक्षण का संकल्प लेकर सभी भक्त अपने घर को गए।

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