23 अक्तूबर को मनाया जाएगा धनतेरस, नोट कर लें पूजन विधि और शुभ मुहूर्त
तिथियों के गड़बड़ाने से हर वर्ष दीपावली से दो दिन पहले मनाया जाने वाला धनतेरस त्योहार इस वर्ष एक दिन पहले मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार ऐसा संयोग 27 साल बाद देखने को मिल रहा है।
तिथियों के गड़बड़ाने से हर वर्ष दीपावली से दो दिन पहले मनाया जाने वाला धनतेरस त्योहार इस वर्ष एक दिन पहले मनाया जाएगा। सोमवार 24 अक्तूबर को दीपावली है वहीं उससे पहले रविवार 23 अक्तूबर का धनतेरस, यम दीपदान, चतुर्दशी व्रत व छोटी दीपावली एक साथ मनाई जाएगी। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार ऐसा संयोग 27 साल बाद देखने को मिल रहा है।
ज्योतिषी नवीन चंद्र ने बताया कि धनतेरस पर रविवार को पूरे दिन खरीदारी का अति शुभ मूहूर्त है। कन्या राशि के चंद्रमा में सोना-चांदी, आभूषण, वाहन, उपकरण खरीदना अति शुभ रहेगा। ज्योतिषी अशोक वार्ष्णेय ने बताया कि 22 अक्तूबर, शनिवार को शाम 06:04 बजे से त्रयोदशी तिथि शुरू होकर अगले दिन रविवार 23 अक्तूबर को शाम 06:03 बजे तक रहेगी। इसके बाद नरक चतुर्दशी यानि छोटी दीपावली प्रारम्भ हो जाएगी। जो सोमवार को शाम 05:25 बजे रहेगी। उसके बाद अमावस्या तिथि मंगलवार 25 अक्तूबर को शाम 04:16 तक रहेगी। तिथियों का समय घटने बढ़ने से इस बार छोटी दीपावली 23 अक्तूबर को त्रयोदशी तिथि के समाप्ति के बाद 06:04 पर प्रारंभ हो जाएगी।
धनतेरस पूजन विधि
- धनतेरस की शाम के समय उत्तर दिशा में कुबेर, धन्वंतरि भगवान और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। पूजा के समय घी का दीपक जलाएं। कुबेर को सफेद मिठाई और भगवान धन्वंतरि को पीली मिठाई चढ़ाएं। पूजा करते समय कुबेर मंत्र का जाप करना चाहिए। फिर धन्वंतरि स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। इसके बाद भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा करना चाहिए। माता लक्ष्मी और भगवान गणेश को भोग लगाएं और फूल चढ़ाना चाहिए। धनतरेस की शाम घर के बाहर मुख्य द्वार पर और आंगन में दीप जलाने की प्रथा भी है। शास्त्रों में वर्णित है की कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी की रात यम देवता का पूजन कर दक्षिण दिशा की ओर भेंट करता है उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। इसलिए इस दिन घर के बाहर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाकर रखा जाता है।