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शुरू होगा एक कदम सुपोषण की ओर अभियान - गर्भवती, धात्री महिलाओं व सैम से ग्रसित बच्चों को दी जाएंगी आयरन व मल्टीविटामिन दवाएं

डीके श्रीवास्तव

आगरा। मातृ एवं बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत जनपद में सात जून (बुधवार) से ‘एक कदम सुपोषण की ओर’ अभियान शुरू होगा। छह जुलाई तक चलने वाले इस अभियान में गर्भवती, धात्री महिलाओं व सैम (गंभीर रूप से कुपोषित) बच्चों को आयरन व मल्टीविटामिन दवाएं दी जाएंगी।
जिला कार्यक्रम अधिकारी आदीश मिश्रा ने बताया कि अभियान के दौरान समस्त स्वास्थ्य इकाईयों की ओ.पी.डी /आई.पी.डी, मुख्यमंत्री जनआरोग्य मेला, प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व क्लीनिक ( केवल गर्भवती महिलाओं हेतु) एवं सी.आई. वी.एच.एस.एन.डी/ यू.एच.एस.एन.डी सत्र के माध्यम से जनजागरूकता एवं आवश्यक दवाओं का वितरण किया जाएगा।
प्रत्येक गर्भवती व धात्री महिला तक फोलिक एसिड, आयरन फॉलिक एसिड, कैल्शियम एवं एल्बेन्डाजॉल की उपलब्धता व सेवन एवं प्रत्येक सैम बच्चों तक अमोक्सीसीलीन, फॉलिक एसिड, आई.एफ.ए सीरप एल्बेन्डाजॉल विटामिन-ए एवं मल्टीविटामिन की उपलब्धता व सेवन शतप्रतिशत सुनिश्चित किया जाएगा। इस अभियान के माध्यम से सप्लाई चेन को सुदृढ़ करते हुये प्रत्येक लाभार्थी तक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराये जाने के साथ-साथ इनके सेवन हेतु जागरूकता भी प्रदान की जायेगी एवं लक्ष्य समूह के अनुसार पोषण सम्बन्धी जानकारी व परामर्श दी जायेगी।
डीपीओ ने बताया कि गर्भावस्था व प्रसवोपरान्त अवस्था में महिलाओं एवं पांच साल से कम उम्र के बच्चों को बेहतर पोषण की आवश्यकता होती है। इस हेतु मातृ एवं बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अर्न्तगत भोजन सम्बन्धी सलाह के साथ-साथ सूक्ष्म पोषक तत्व दी जाती हैं, जिससे महिलाओं एवं बच्चों का स्वास्थ्य उत्तम रहे एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से होने वाली बीमारियों से दोनों को बचाया जा सके।
डीपीओ ने बताया कि 2020-21 में हुए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (एनएफएचएस-5) के अनुसार एनएफएचएस-4 के सापेक्ष महिलाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य एवं पोषण संबंधित संकेतकों में कुछ सुधार देखने को मिला है, किन्तु अनेक प्रयासों के उपरान्त भी एनएफएचएस-5 के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में मात्र 22.3 प्रतिशत एवं 9.7 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं ने ही क्रमशः 100 दिनों एवं 180 दिनों तक आयरन की गोलियों का सेवन किया है। संभवतः इसी कारण से 45.9 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं में एनीमिया पाया गया है। वहीं 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में दुबलापन के आंकड़ों में भी संतोषजनक सुधार देखने को नहीं मिला है,एनएफएचएस-5 के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 5 वर्ष से कम उम्र के 17.3 प्रतिशत बच्चे दुबलेपन के शिकार हैं तथा 7.3 प्रतिशत बच्चे सैम से ग्रसित हैं अर्थात जिनका वजन लम्बाई / ऊँचाई के अनुपात में बहुत कम है। 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में सैम एक गंभीर चिकित्सीय समस्या है जिससे ग्रसित बच्चों में मृत्यु की सम्भावना 09 गुना अधिक होती है।

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