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पार्वती के भाग जगे दूल्हा बने शिवशंकर

डॉ दीपिका उपाध्याय

आगरा।  श्रीगोपालजी धाम, दयालबाग में चल रही श्रीशिवमहापुराण कथा में तीसरे दिन शिव पार्वती विवाह की कथा सुनाई गई।
 गुरुदीपिका योगक्षेम फाउंडेशन द्वारा आयोजित कथा में कथावाचक डॉ दीपिका उपाध्याय ने माता पार्वती के कठोर तप का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि प्रारब्ध में लिखा हुआ फल भी तपस्या के प्रभाव से ही शाश्वत होता है। देवी पार्वती और भगवान शिव एक दूसरे के लिए बने हैं पर फिर भी पार्वती तप करती हैं जिससे अभिमान बीज नष्ट हो जाए। इसीलिए भगवान शिव भी अपनी चिर सहचरी की बार-बार परीक्षा लेते हैं। अपने चरणों में दृढ़ भक्ति जानकर ही वे पार्वती से विवाह के लिए तैयार होते हैं।
 माता मेना तथा पिता हिमालय के दुखी होने पर सप्तर्षिगण की कथा सुना कर वे उन्हें शिव और शिव के विवाह के लिए तैयार करते हैं।
 इसके बाद भगवान शिव की बारात नवग्रह पूजन के बाद कैलाश से हिमालय के नगर को प्रस्थान करती है। शिव की बारात के वर्णन तथा माता मेना की जिज्ञासा पर नारद मुनि के टिप्पणियों ने प्रसंग को रोचक बना दिया और भक्तों ने भरपूर आनंद लिया।
 विवाह उपरांत भगवान शिव से परिहास करती स्त्रियों का प्रसंग सुनाते हुए कथावाचक ने बताया कि भगवान शिव को सदैव ही मर्यादा का पालन प्रिय है, इसलिए वे स्त्रियों को हास परिहास से रोककर मर्यादा का पाठ पढ़ाते हैं।
शिव विवाह का कल्याणकारी प्रसंग सुनकर भक्त भाव विभोर हो गये।
 स्त्रियों ने शिव तथा माता पार्वती से मंगल की कामना की। फाउंडेशन के निदेशक रवि शर्मा ने बताया कि कल कथा में भगवान कार्तिकेय का जन्म उत्सव होगा।
 इस अवसर पर संतोष तिवारी, दीपा लश्करी, गुंजन गौतम, देवेंद्र गोयल, वीना तिवारी, पवित्रा गौतम, वीणा कालरा, कांता शर्मा, निष्ठा उपाध्याय आदि उपस्थित रहे।

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