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मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन को बड़ी सफलता, सुरंग के लिए सिर्फ 10 महीने में चीर डाला पहाड़ का सीना

मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन मोदी सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में एक है। प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट को साकार करने में जुटी टीम ने पहाड़ सी चुनौती को बौना साबित कर पहली पहाड़ी सुरंग केवल 10 महीने में बनाने की उल्लेखनीय कामयाबी पाई है।

मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन मोदी सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में एक है। जिन रास्तों पर रेलवे ट्रैक बिछाए जा रहे हैं, उसमें कई जगह पहाड़ काटकर सुरंग बनाने की चुनौती भी सामने आ रही है। प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट को धरातल पर उतारने में जुटी टीम ने हर चुनौती को बौना साबित करने का संकल्प लेकर काम कर रही है। रिपोर्ट के अनुसार टीम ने पहली पहाड़ी सुरंग केवल 10 महीने में बना दिया है। बुलेट ट्रेन की परियोजना में वलसाड में बनी सुरंग उल्लेखनीय कामयाबी है।

केवल 10 महीने में बनी सुरंग
रिपोर्ट के मुताबिक मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना में कुल सात पर्वतीय सुरंग बनाए जाने हैं। पहली सुरंग बनाने में 'सफलता' गुरुवार को मिली। नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) के अनुसार, गुजरात के वलसाड में केवल 10 महीने की अवधि में सुरंग के एक छोर से दूसरे छोर तक रास्ता बनाने में कामयाबी मिली।

देश में पहली बार समुद्र के नीचे सुरंग, खुदाई का काम शुरू
एक अधिकारी के अनुसार, छह और पर्वतीय सुरंगों के लिए भी ठेके दिए जा चुके हैं। मुंबई में बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स को पड़ोसी ठाणे जिले में शिलफाटा से जोड़ने वाले रूट पर समुद्र के नीचे सुरंग बनाना है। इसके लिए भी खुदाई का काम शुरू हो चुका है।


ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड से बनाई गई सुरंग
एनएचएसआरसीएल ने बताया कि वलसाड में जिस सुरंग को तैयार करने में 'सफलता' हासिल हुई है, वह पड़ोसी राज्य वलसाड के उमरगांव तालुका में ज़ारोली से लगभग 1 किलोमीटर दूर स्थित है। इसे न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड (एनएटीएम) का उपयोग करके बनाया गया है। अधिकारियों ने बताया कि 'ब्रेकथ्रू' एक इंजीनियरिंग शब्द है जिसका उपयोग तब किया जाता है जब एक सुरंग के दो सिरे बीच में मिलते हैं।

सुरंग घोड़े की नाल के आकार की, दो हाईस्पीड ट्रैक होंगे
इस "संरचना में एक सुरंग, एक सुरंग पोर्टल और एक सुरंग प्रवेश द्वार हुड जैसी अन्य कनेक्टिंग संरचनाएं भी शामिल हैं। 350 मीटर लंबी सुरंग की गोलाई 12.6 मीटर और ऊंचाई 10.25 मीटर है। यह एकल ट्यूब सुरंग घोड़े की नाल के आकार की है। सुरंग में दो हाई-स्पीड ट्रेन ट्रैक होंगे।

सात पहाड़ी सुरंग बनानी है, जानिए पूरा प्रोसेस
रिपोर्ट के अनुसार मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल कॉरिडोर में सात पहाड़ी सुरंगें होंगी। इनमें से सभी का निर्माण एनएटीएम का उपयोग करके किया जाएगा। पूरे प्रोसेस में सुरंग के सिरे पर ड्रिल छेद को चिह्नित करना, ड्रिलिंग छेद, विस्फोटकों को चार्ज करना, नियंत्रित ब्लास्टिंग, मलबा हटाना और प्राइमरी सपोर्ट इंस्टॉल करना शामिल है।

समुद्र के नीचे बनने वाली सुरंग का लोकेशन जानिए
हाई-स्पीड ट्रेन कॉरिडोर में मुंबई के बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स और ठाणे जिले के शिलफाटा के बीच 21 किलोमीटर लंबी सुरंग है। इस संरचना का 7 किलोमीटर हिस्सा ठाणे क्रीक के नीचे होगा। ये जगह देश की पहली ऐसी सुरंग के लिए मशहूर होगी जहां समुद्र के नीचे सुरंग बनी होगी।

पालघर में बनेगी सुरंग
अधिकारियों ने कहा कि जिन छह पर्वतीय सुरंगों के लिए ठेके दिए गए हैं, मुंबई से इनकी दूरी लगभग 100 किलोमीटर है। महाराष्ट्र के पालघर जिले के कसाबेकामन, चंद्रपाड़ा, चंदसर, मीठागर, वसंतवाड़ी और अंबेसरी में सुरंग का निर्माण कराया जाना है।

बुलेट ट्रेन की कुल लागत, जापान से लोन
बता दें कि मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल कॉरिडोर परियोजना की कुल लागत 1.08 लाख करोड़ रुपये आंकी गई है। शेयरहोल्डिंग पैटर्न के अनुसार, भारत सरकार एनएचएसआरसीएल को 10,000 करोड़ रुपये का भुगतान करेगी। परियोजना में शामिल दो राज्य- गुजरात और महाराष्ट्र 5,000 करोड़ रुपये का भुगतान करेंगे। बाकी अमाउंट की भरपाई जापान से लिए गए लोन से होगी।

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