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आजमगढ़ उपचुनावः कम वोटिंग में निरहुआ को दिखी जीत, बताया कैसे मिल रही फतह

आजमगढ़ उपचुनाव में 47 फीसदी मतदान हुआ है। अगर आम चुनाव से तुलना की जाए तो करीब दस प्रतिशत कम लोगों ने वोट डाले हैं। भाजपा प्रत्याशी निरहुआ ने इसे अपनी जीत का संकेत बताते हुए समीकरण गिनाए हैं।

आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव गुरुवार को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गया। आम चुनाव की तुलना में करीब दस प्रतिशत कम वोटिंग हुई है। कम वोटिंग को भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ ने अपनी जीत का संकेत बताया। उन्होंने कई ऐसे कारण बताए जिसके कारण कम वोटिंग हुई। पिछली बार भी मैदान में उतरे निरहुआ ने यह भी बताया कि क्यों इस बार उनकी जीत होने जा रही है। उधर, सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव ने निरहुआ के दावे पर कहा कि वह दिन में सपने देख रहे हैं। सपने देखने से किसी को कौन रोक सकता है। 

लोकसभा के आम चुनाव में 56.12 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। जबकि इस बार केवल 46.84 फीसदी ही मतदान हुआ है। ऐसे में सपा, भाजपा और बसपा में कांटे की टक्कर मानी जा रही है। कम वोटिंग के लिए निरहुआ ने कई कारण गिनाए। कहा कि बारिश के कारण कुछ वोटिंग प्रतिशत कम हुआ है।

इसके अलावा यहां के बहुत से मतदाता बाहर के शहरों में नौकरी और रोजगार करते हैं। आम चुनाव में तो वोटिंग के लिए आ जाते हैं लेकिन उपचुनाव में नहीं आते हैं। क्योंकि इस चुनाव से सरकार बनाने या गिराने जैसी स्थितियां नहीं होतीं। 

निरहुआ ने कहा कि इस चुनाव में योगी जी के कारण बूथ कैप्चरिंग भी नहीं हुई। यह बूथ कैप्चरिंग सपा वाले करते रहे हैं। पहले लोग अखिलेश के कारण उग्र हो जाते थे, अब वो स्थिति नहीं है। इस बार अग्रेसिव वोटिंग नहीं हुई है। उनके वोटरों को पता है कि अखिलेश जीतने के बाद भाग गए और धर्मेंद्र भी भाग जाएंगे। इसलिए उनके वोटर कम आए  हैं। हमारे पक्ष में ज्यादा वोटिंग हुई है।

एक अन्य कारण गिनाते हुए निरहुआ ने कहा कि लोगों को पता है कि ये लोग सत्ता से दूर हैं। इनके जीतने पर भी जिले का विकास नहीं होगा। हमारे जीतने से ही विकास हो सकेगा। इनके दस विधायक हैं लेकिन कोई विकास नहीं हो रहा है। सत्ता से दूर रहने का रोना रोते हैं, अभी तो लंबे समय तक सत्ता से दूर ही रहना है।

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