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काकोरी क्रान्ति दिवस पर याद किए गए अमर शहीद

रीना त्रिपाठी

लखनऊ।  काकोरी क्रान्ति दिवस पर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अमर शहीदों पंडित राम प्रसाद बिस्मिल,चन्द्र शेखर आजाद, अशफाक उल्ला खान, राजेंद्र लाहिड़ी और ठाकुर रोशन सिंह को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
     इस अवसर पर भारतीय नागरिक परिषद के बैनर से गांव अलीनगर खुर्द कमलापुर में प्रभात फेरी निकाली गई जिसमें जिसमें बड़ी संख्या में बच्चों बच्चियों वा महिलाओ ने प्रतिभाग किया। बच्चों ने आज के इस क्रांतिकारी दिन और आजादी के अमृत उत्सव के अवसर पर बच्चों ने अपना गांव नशा मुक्त बनाने तथा खुद कभी नशा न करने की शपथ तिरंगे को साक्षी मानकर ली।
          भारतीय नागरिक परिषद के पदाधिकारियों ने आज काकोरी स्थित शहीद स्मारक पर एक संगोष्ठी कर काकोरी क्रान्ति और  भारत छोड़ो आंदोलन की चर्चा की तथा आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर राष्ट्रीय झंडा यात्रा में शामिल हुए।        

          तिरंगा यात्रा वा बाइक रैली का अयोजन  भगवान परशुराम सेवा संस्थान के द्वारा किया गया। जिसमें भारतीय नागरिक परिषद द्वारा अजय तिवारी, प्रदीप त्रिपाठी को झण्डा उपलब्ध करा के सहयोग किया, परशुराम सेवा संस्थान द्वारा बुद्धेश्वर मंदिर परिसर से लेकर काकोरी स्मारक तक बाइक रैली तिरंगा घोष के साथ निकालकर युवाओं को देश प्रेम की भावना अमृत महोत्सव और नशे से दूर रहने का संदेश दिया । जिस प्रकार अंग्रेजों भारत छोड़ो के नारे के साथ आज के ऐतिहासिक दिन को याद किया जाता है उसी प्रकार हिंदुस्तान नशा छोड़ो का नारा युवाओं को दिया गया। काकोरी स्मारक पहुंचकर पदाधिकारियों सहित सभी प्रतिभागियों ने क्रांतिकारियों को नमन किया।
        काकोरी स्मारक में सभा को मुख्य वक्ता शैलेंद्र दुबे ने बताया कि आज ही के दिन 9 अगस्त 1925 को काकोरी में ट्रेन रोककर अंग्रेजी खजाना लूट कर क्रांतिकारियों ने ब्रितानिया हुकूमत को चुनौती दी थी। इस घटना से लंदन तक ब्रिटिश तख्त हिल उठा था । काकोरी क्रांति में  सम्मिलित 4 क्रांतिकारी पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान ,राजेंद्र लाहिड़ी और ठाकुर रोशन सिंह को लखनऊ के जीपीओ भवन में जिसे तब रिंग थिएटर कहा जाता था फांसी की सजा सुनाई गई थी। पंडित राम प्रसाद बिस्मिल को गोरखपुर जेल में, ठाकुर रोशन सिंह को नैनी जेल में ,अशफाक उल्ला खान फैजाबाद जेल में 19 दिसंबर 1927 को फांसी दी गई जबकि राजेंद्र गाड़ी को 2 दिन पहले 17 दिसंबर 1927 को गोंडा जेल में फांसी दी गई। चन्द्र शेखर आजाद को ब्रिटिश हुकूमत गिरफ्तार न कर सकी और 27 फरवरी 1931 को इलाहाबाद में अल्फ्रेड पार्क में पुलिस के साथ सन्मुख युद्ध मे उन्होंने अंतिम गोली खुद अपने ऊपर चलाकर अपने प्राणों की आहुति दे दी।
      आज जब स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है तब भारतीय नागरिक परिषद ने काकोरी क्रांति दिवस पर काकोरी जाकर अमर शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित किए। कार्यक्रम का आयोजन और संचालन भारतीय नागरिक परिषद की महामंत्री रीना त्रिपाठी किया। इस अवसर पर रीना त्रिपाठी, अजय तिवारी, प्रदीप तिवारी निशा सिंह, रेनू त्रिपाठी, सरोज बाला सोनी, ललित मिश्रा ,प्रेम तिवारी ,ओम सिंह ,तारा रावत, गौरी शंकर, मानसी तिवारी सहित सैकड़ों साथियों ने उपस्थित होकर श्रद्धा सुमन काकोरी स्मारक पर अर्पित किए तथा 9 अगस्त के ऐतिहासिक महत्व को समझाते हुए समाज को झंडा यात्रा के माध्यम से आपसी सद्भावना नशा से मुक्ति तथा देश प्रेम के अमृत महोत्सव से जोड़ने का काम किया।

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