
भगवान गौतम बुद्ध इतिहास के अदभुत और अद्वितीय महापुरुष थे: बुद्ध के संदेश और शिक्षाओं को अमल में लाकर विश्व में शांति लाई जा सकती है!
तथागत गौतम बुद्ध का जीवन मानवता के इतिहास में एक अद्वितीय प्रकाशपुंज है। वे न केवल एक धार्मिक गुरु थे, बल्कि एक ऐसे महान चिंतक और समाज सुधारक भी थे, जिन्होंने दुनिया को दु:खों से मुक्त होने का मार्ग दिखाया। उनका संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना उस समय था। उनके विचारों और जीवन-दर्शन को श्रद्धांजलि देने के लिए हर वर्ष वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। यह दिन उनके जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण–इन तीनों घटनाओं का साक्षी होने के कारण विशेष महत्व रखता है!
बुद्ध महान् क्यों हैं?
गौतम बुद्ध का संपूर्ण जीवन करुणा, सत्य, अहिंसा और आत्मबोध का प्रतीक है। वे एक राजकुमार होते हुए भी संसार के दु:खों को देखकर वैराग्य को अपनाते हैं और सत्य की खोज में निकल पड़ते हैं। उन्होंने कठोर तपस्या के बाद बोधगया में पीपल वृक्ष के नीचे गहन ध्यान करते हुए आत्मज्ञान प्राप्त किया और एक बुद्ध– अर्थात् ‘जाग्रत पुरुष’ बने। बुद्ध ने समाज में व्याप्त अंधविश्वास, जात-पात, बलिप्रथा और रूढ़ियों का विरोध किया। उन्होंने बताया कि दु:ख का कारण अविद्या (अज्ञान), तृष्णा (लालच), और आसक्ति (लगाव) है और इनसे मुक्ति का मार्ग है–आष्टांगिक मार्ग। वे कहते हैं कि मोक्ष किसी बाहरी देवता से नहीं, बल्कि स्वयं की समझ, संयम और करुणा से संभव है। यही उन्हें मानवता का एक महान शिक्षक बनाता है।
बुद्ध पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है?
बुद्ध पूर्णिमा उस शुभ दिन की स्मृति है जब:
1. गौतम बुद्ध का जन्म लुम्बिनी (वर्तमान नेपाल) में हुआ।
2. ज्ञान प्राप्ति (बोधि) बोधगया में पीपल वृक्ष के नीचे हुई।
3. महापरिनिर्वाण कुशीनगर में हुआ, जब उन्होंने देह त्यागी।
तीनों घटनाएं एक ही तिथि–वैशाख मास की पूर्णिमा–को घटित होने के कारण यह दिन त्रिवेणी पर्व कहलाता है। इस दिन को बौद्ध अनुयायी और सत्य, शांति व करुणा में आस्था रखने वाले सभी लोग श्रद्धा से मनाते हैं।
देश के कई स्थानों और विदेशों में बुद्ध पूर्णिमा का आयोजन होता है
भारत में विशेष रूप से बोधगया, सारनाथ, कुशीनगर और लुम्बिनी में हजारों श्रद्धालु एकत्रित होते हैं। बौद्ध विहारों में प्रार्थना, ध्यान, दान, उपदेश और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं।
नेपाल में लुम्बिनी को सजाया जाता है और वहां अंतरराष्ट्रीय बौद्ध समुदाय एकत्रित होता है। श्रीलंका, थाईलैंड, जापान, म्यांमार, भूटान, चीन, कोरिया जैसे देशों में भी बुद्ध पूर्णिमा अत्यंत श्रद्धा से मनाई जाती है। लोग व्रत रखते हैं, मंदिरों में दीप जलाते हैं, परोपकार करते हैं और ध्यान में समय बिताते हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी इस दिन को “वेसाक दिवस” (Vesak Day) के रूप में मान्यता दी है, जो वैश्विक स्तर पर शांति, सहिष्णुता और मानवता का संदेश देता है!
बुद्ध की शिक्षाएं और संदेश
भगवान बुद्ध की शिक्षाएं संपूर्ण मानव समाज के लिए शाश्वत मार्गदर्शक हैं। उन्होंने जीवन के दु:खों का गहराई से अध्ययन कर उनके समाधान बताए। उनकी वाणी सरल, व्यावहारिक और तर्कयुक्त थी, जो आज भी उतनी ही प्रासंगिक है। बुद्ध के उपदेश किसी एक धर्म या संप्रदाय के लिए नहीं, बल्कि सम्पूर्ण मानवता के लिए हैं।
बुद्ध की प्रमुख शिक्षाएं:
चार आर्य सत्य (Four Noble Truths):
बुद्ध ने अपने पहले प्रवचन में जीवन के दु:ख और उससे मुक्ति का सूत्र बताया:
1. दु:ख–जीवन में दु:ख है।
2. दु:ख का कारण–दु:ख का कारण तृष्णा (इच्छा) है।
3. दु:ख की निवृत्ति–तृष्णा की समाप्ति से दु:ख मिटता है।
4. दु:ख निवृत्ति का मार्ग–आठ अंगों वाला मध्यम मार्ग (आष्टांगिक मार्ग) इसका उपाय है।
आष्टांगिक मार्ग (Eightfold Path): बुद्ध ने मोक्ष के लिए एक सम्यक और संतुलित मार्ग बताया:
1. सम्यक दृष्टि (सही दृष्टिकोण)
2. सम्यक संकल्प (सही इरादा)
3. सम्यक वाक् (सही वाणी)
4. सम्यक कर्म (सही आचरण)
5. सम्यक आजीविका (सही जीवन-यापन)
6. सम्यक प्रयास (सही प्रयास)
7. सम्यक स्मृति (सही जागरूकता)
8. सम्यक समाधि (सही ध्यान)
मध्यम मार्ग (Middle Path):
बुद्ध ने विलासिता और कठोर तपस्या– दोनों को अस्वीकार कर एक मध्यम मार्ग अपनाने की शिक्षा दी। यह संयमित जीवन, विवेकपूर्ण आचरण और संतुलन का मार्ग है।
अहिंसा और करुणा:
बुद्ध का सबसे महत्वपूर्ण संदेश था– “सब प्राणियों के प्रति दया और अहिंसा रखें।” उन्होंने हिंसा, हत्या, पशुबलि और युद्ध का विरोध किया और प्रेम, क्षमा तथा सह-अस्तित्व पर बल दिया।
आत्म-जागरण:
बुद्ध ने कहा–“अप्प दीपो भव”–“स्वयं अपने दीपक बनो।” उनके अनुसार, व्यक्ति को स्वयं ज्ञान प्राप्त कर अपने जीवन को दिशा देनी चाहिए। अंध विश्वास की जगह आत्म विवेक और चिंतन को स्थान देना चाहिए।
क्षणिकता का सिद्धांत (Anicca): बुद्ध ने बताया कि संसार की हर वस्तु नश्वर है–सब कुछ बदलता रहता है। इसलिए इससे मोह नहीं करना चाहिए!
अहंकार का त्याग:
बुद्ध ने ‘अहं’ को दु:खों की जड़ बताया। जब तक ‘मैं’ और ‘मेरा’ की भावना है, तब तक मन अशांत रहेगा।
बुद्ध का संदेश: “क्रोध को प्रेम से, बुराई को भलाई से, लोभ को दान से और असत्य को सत्य से जीतो!”
“जो अपने ऊपर विजय पा लेता है, वह सबसे बड़ा विजेता है।” “जो जागता है, वही जीवित है। बाकी तो सोए हैं।”
बुद्ध की शिक्षाएं केवल पूजा-पाठ का विषय नहीं, बल्कि व्यवहार में लाने योग्य जीवन सूत्र हैं। यदि हम उनकी करुणा, संयम, विवेक और शांति की राह अपनाएं, तो न केवल व्यक्तिगत जीवन सुधरेगा, बल्कि समाज में भी सद्भाव, प्रेम और सह-अस्तित्व का वातावरण बनेगा! बुद्ध के जीवन और उपदेश आज भी दुनिया को दिशा देते हैं। उनका जीवन दिखाता है कि कैसे एक सामान्य मनुष्य भी साधना, ज्ञान और करुणा से महान बन सकता है। बुद्ध पूर्णिमा केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि मानवता के जागरण का पर्व है। यह हमें आत्म निरीक्षण, संयम और प्रेम के साथ जीवन जीने की प्रेरणा देता है!
डॉ दिग्विजय कुमार शर्मा
शिक्षाविद, साहित्यकार
मोटिवेशनल स्पीकर
आगरा