
दिनांक 01 अक्टूबर 2025 को महानवमी के पावन पर्व के दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने दिल्ली में अपना संघ शताब्दी समारोह मनाया जिसके मुख्य अतिथि के रूप में प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने उसमें भाग लिया। यह कार्यक्रम कल विजयादशमी के दिन संघ की अनवरत 100 वर्षों की यात्रा पूर्ण होने के उपलक्ष्य में मनाया गया जिसमें संघ के अनेक स्वयंसेवकों,पदाधिकारियों और गणमान्य व्यक्तियों के साथ संघ के सर कार्यवाह श्री दत्रातेय हौसबोले जी भी उपस्थित रहे। इस अवसर पर प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी ने संघ की सफल यात्रा के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में डाक टिकट एवं 100 रुपये का सिक्का भी जारी किया जिस पर भारत माता के चित्र के साथ संघ का मूल उद्घोष भी अंकित है। देश को स्वतंत्रता की प्राप्ति के बाद यह पहला अवसर है जब भारत सरकार के द्वारा संघ जैसे राष्ट्रवादी एवं स्वयंसेवी संगठन पर कोई डाक टिकट या सिक्का जारी किया गया है। इस अवसर पर प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी ने संघ की 100 वर्षों की यात्रा में उसके समाज एवं राष्ट्र के प्रति योगदान का उल्लेख करते हुए अपने विचार भी व्यक्त किए।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी समारोह में बोलते हुए प्रधानमन्त्री मोदी ने संघ के संस्थापक डा. केशवराव बलीराम हेडगेवार को याद करते हुए कहा कि उनकी दूरदृष्टि एवं समाज के प्रति समर्पण की भावना से ही संघ की स्थापना आज से 100 वर्ष पूर्व विजयादशमी के दिन 1925 में एक शाखा के रूप में हुई थी। आज वही संघ एक वटवृक्ष बन गया है और समाज एवं राष्ट्र के उत्थान में महती भूमिका का निर्वहन कर रहा है। प्रधानमन्त्री मोदी जी ने बताया कि डा. हेडगेवार जी की यह स्पष्ट सोच थी कि व्यक्ति के चरित्र का निर्माण करने से ही कोई राष्ट्र उन्नति कर सकता है। उनका यह दृढ़ विश्वास था कि राष्ट्र को सफलता के शिखर पर पहुंचाने के लिए यह नितान्त जरूरी है कि देश के लोगों में राष्ट्र प्रथम की भावना जागृत हो और वे निजी हित की भावना से ऊपर उठकर समाज के लिए त्याग एवं सम्पूर्ण समर्पण की भावना से ओतप्रोत हों। यही कारण है कि डा. हेडगेवार ने स्वयंसेवी लोगों के साथ मिलकर शाखाएं लगाने के माध्यम से संघ का विस्तार करने की नीति अपनाई। इन शाखाओं में लोगों को जोड़कर उनमें राष्ट्र प्रथम एवं समाज के प्रति समर्पण के संस्कार दिए जाते थे और हिन्दू समाज में व्याप्त जाति प्रथा, छुआछूत और ऊंच नीच जैसी बुराइयों से समाज को बाहर निकालकर एकजुट करने के लिए समर्पित होकर काम करने की प्रेरणा दी जाती थी। प्रधानमन्त्री मोदी जी ने कहा कि संघ का आज जो विशाल रूप दिखाई पड़ता है, वह इन शाखाओं के ही समर्पित स्वयंसेवकों के अथक प्रयासों का फल है। मोदी जी ने बताया कि शुरूआत के दिनों में लोग डा. हेडगेवार का मजाक बनाते थे और यह कहते कि विभाजितत हिन्दू समाज को संगठित और एकजुट करना इस तरह सम्भव नहीं है। डा. हेडगेवार का ऐसे लोगों को एक ही जवाब होता था कि व्यक्ति के चरित्र निर्माण से ही यह एक दिन सम्भव हो सकेगा। प्रधानमन्त्री मोदी जी ने कहा कि संघ को व्यक्ति के चरित्र निर्माण की यज्ञवेदी कहा जा सकता है जहाँ व्यक्ति को राष्ट्र प्रथम एवं समाज के प्रति संवेदनशीलता और त्याग जैसे उच्च संस्कारों से अभिसंचित किया जाता है।
प्रधानमन्त्री मोदी जी ने अपने संबोधन में कहा कि संघ के प्रति दुष्प्रचार एवं नकारात्मकता फैलाने का प्रयास प्रारम्भ से ही किया जाता रहा है। कभी संघ के लोगों के स्वतंत्रता आन्दोलन आन्दोलन से दूर रहने की बात कही जाती है तो कभी संघ को साम्प्रदायिक एवं विभाजनकारी संगठन कहकर उस पर झूठे आरोप लगाए जाते रहे हैं। इस सबके बावजूद संघ निरन्तर आगे बढ़कर राष्ट्र सेवा एवं समाज की एकजुटता के लिए समर्पित होकर काम करता रहा है। इसका कारण संघ के स्वयंसेवकों का राष्ट्र के लिए समर्पित जीवन एवं समाज के प्रति समर्पण भाव है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद भी संघ को समाप्त करने के लिए अनेकों षड़यंत्र रचे जाते रहे और समय समय पर संघ पर प्रतिबंध भी लगाए गए परन्तु संघ अपनी प्रखर राष्ट्रवादी विचारधारा के कारण हमेशा इन कठिनाइयों पर विजय प्राप्त कर और अधिक मजबूत होकर अपने संकल्प की दिशा में आगे बढ़ने में सफल रहा। संघ आज जिस मुकाम पर है, उसका कारण यह है कि संघ त्याग एवं राष्ट्र के प्रति सम्पूर्ण समर्पण के संस्कार से हमेशा प्रेरित रहा है और भारत को हर दृष्टि से विश्व में अग्रणी बनाने के लिए प्रतिबद्ध एवं कार्यरत रहा है। आज समाज के प्रत्येक कार्यक्षेत्र में संघ और उसके आनुषंगिक संगठन पूर्ण समर्पण भाव से कार्यरत हैं। वनवासी क्षेत्र हों या आदिवासी एवं जनजाति आबादी के क्षेत्र हों, संघ के आनुषंगिक संगठन और उनमें काम करने वाले स्वयंसेवक अनेकों कार्यक्रम चलाकर इन क्षेत्रों के लोगों के कल्याण के लिए काम कर रहे हैं। इसी तरह छात्रों, किसानों एवं मजदूरों के बीच भी संघ के आनुषंगिक संगठन प्रखर राष्ट्रभक्ति की भावना के साथ समाज के इन समूहों के हित के लिए निरन्तर काम कर रहे हैं।
प्रधानमन्त्री मोदी जी ने यह भी कहा कि संघ हमेशा समाज में व्याप्त कुरीतियों के विरुद्ध समाज को जागृत करने और उनसे समाज को निजात दिलाने के लिए काम करता रहा है। छुआछूत, जाति प्रथा के विरुद्ध हमेशा संघ ने आवाज उठाई है। परम पूजनीय गुरू गोलवलकर जी और बाला साहब देवरश से लेकर वर्तमान सर संघचालक श्री मोहन भागवत जी तक सभी ने छुआछूत को महापाप मानते हुए इसे समाज से समाप्त करने का आहवान किया है। यही कारण है कि संघ से जुड़े लोगों एवं स्वयंसेवकों में ऊँच नीच या छोटे बड़े जैसी किसी भावना के लिए कोई स्थान नहीं है। संघ में सब मां भारती के पुत्र हैं और सभी एकजुटता की भावना से ओतप्रोत हैं। मोदी जी ने एक प्रसंग का जिक्र करते हुए बताया कि संघ अपने विरोधियों के लिए भी कोई द्वेषभाव नहीं रखता क्योंकि संघ का मानना है कि विरोधी भी अपने ही हैं। उन्होंने बताया कि जब एक बार परम पूजनीय गुरू जी को किसी झूठे आरोप में कारावास भेज दिया गया तो स्वयंसेवकों के आक्रोश को समझते हुए गुरू जी ने उनसे कहा था कि कभी कभी जीभ दांत के नीचे आकर कट जाती है परन्तु हम इस कारण दांत तो नहीं तोड़ते हैं। इसका कारण है कि दोनों अपने हैं, इसी तरह हमारे विरोधी भी अपने ही हैं।
प्रधानमन्त्री मोदी जी ने अपने संबोधन में जोर देकर यह कहा कि संघ अपनी स्पष्ट एवं राष्ट्रहित को समर्पित विचारधारा के बल पर ही आज इस मुकाम तक पहुंचा है और संघ के पास देश की हर समस्या के निदान के लिए एक रोडमैप है। संघ के पास भविष्य के भारत के लिए भी एक रोडमैप है जिस पर चलने के लिए समाज को तैयार करना संघ के स्वयंसेवकों का भावी संकल्प है। संघ के पास जनांकिकी बदलाव से निपटने के लिए भी एक योजना है तो समाज में बढ़ते जा रहे व्यक्तिवाद पर अंकुश लगाने का भी एक विचार और कार्यक्रम है।
भारत के भविष्य के लिए और उसे विश्व में अग्रणी राष्ट्र बनाने के लिए संघ के पंच परिवर्तन कार्यक्रम में एक कुटुम्ब प्रबोधन की चर्चा करते हुए मोदी जी ने कहा कि संघ का मानना है कि बढ़ता हुआ व्यक्तिवाद देश में एक बड़ी समस्या है जिसने समाज में परिवार जैसी समृद्ध संस्था को निरन्तर कमजोर किया है और देश के नौजवानों को अपनी मूल संस्कृति से विमुख करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। यह समय की मांग है कि परिवार जैसी महत्वपूर्ण संस्था को पुनः सशक बनाने के लिए प्रयास किए जाए। इसके लिए संघ के स्वयंसेवक अपने अपने क्षेत्रों में घर घर जाकर युवाओं को परिवार के महत्व को समझाने का काम करेंगे और उन्हें परिवार में सभी छोटे और बड़े सदस्यों के साथ उठने बैठने और उनके साथ संवाद बढ़ाने के लिए उत्प्रेरित करने का काम करेंगे। इससे समाज में प्रेम, लगाव और सहिष्णुता बढ़ेगी और लोगों में परस्पर संवेदना और सम्मान का भाव भी विकसित होगा। प्रधानमन्त्री मोदी जी ने यह भी कहा कि हम सभी बहुत भाग्यशाली हैं जो संघ की 100 वर्षों की सफल यात्रा के उपलक्ष्य में आयोजित इस शताब्दी समारोह के अवसर पर उसमें सहभागी बने हैं और मैं स्वयं को विशेष रूप से भाग्यशाली मानता हूं कि मुझे इस अवसर पर आप सभी के समक्ष संघ के विषय में अपने विचार साझा करने का मौका मिला। संघ शताब्दी वर्ष अगले वर्ष 2026 की विजयादशमी तक मनाया जाएगा और वर्ष भर सैकड़ों कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। मैं संघ परिवार के ही एक सदस्य के रूप में सभी कार्यक्रमों की सफलता हेतु शुभकामनाएं देता हूँ। मुझे पूरा विश्वास है कि संघ निरन्तर प्रगति के पथ पर अग्रसर होते हुए समस्त समाज एवं राष्ट्र को सही दिशा दिखाने का काम आगे भी उसी निष्ठा एवं समर्पण के भाव के साथ करता रहेगा।