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Investment in Gold : सोने में निवेश कर आप भी कूट सकते हैं बढ़िया मुनाफा, अपनानी होगी यह रणनीति

Investment in Gold : फिजिकल गोल्ड (Physical Gold) खरीदने का नुकसान यह है कि मेकिंग और डिजाइनिंग चार्जेज (Making Charge) के चलते यह अधिक महंगा हो जाता है। इसे आप लॉकर आदि में रखते हो तो आपको उस पर भी पैसा खर्च करना पड़ेगा। साथ ही फिजिकल गोल्ड को बेचना भी महंगा है, क्योंकि यह पूरी तरह प्योर गोल्ड (Pure Gold) नहीं होता है।

 

नई दिल्ली : जब दुनिया भर के शेयर बाजार (Share Market) टूट रहे हैं, तो सोना सेफ हैवन के रूप में निवेशकों को आकर्षित कर रहा है। आप भी सोने में निवेश कर अच्छा रिटर्न कमा सकते हैं। फिजिकल गोल्ड के अलावा सोने में डिजिटल गोल्ड (Digital Gold), गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF), गोल्ड म्यूचुअल फंड्स (Gold Mutual Funds), सॉवरेन गोल्ड बांड्स (Sovereign Gold Bonds) आदि जैसे विभिन्न फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स के माध्यम से निवेश किया जा सकता है। इन सब निवेश प्रोडक्ट्स के बीच एक बात यह कॉमन है कि इनकी कीमतें सोने के भाव से लिंक्ड होती है। लेकिन इसके अलावा, इनके बीच लागत, रिटर्न्स, लिक्विडिटी, रिस्क, लॉक-इन पीरियड, खरीदारी के विकल्प और टैक्स के मामले में ढेर सारे डिफरेंसेज हैं।

रिटर्न के नजरिये से देखें..तो सोने ने पिछले 40 वर्षों में 9.6 फीसद की दर से सालाना रिटर्न दिया है। रिस्क के नजरिये से देखे, तो सोने ने इक्विटीज की तुलना में निश्चित रूप से कम अस्थिरता दिखाई है। दरअसल, सोने और शेयर बाजारों के बीच एक तरह का उलटा संबंध होता है। जब शेयर बाजारों में गिरावट आती है या बहुत अधिक अनिश्चितता होती है, तो सोने की कीमतों में तेजी देखने को मिलती है। जब अर्थव्यवस्थाओं में गिरावट आती है या कोई बड़ी वित्तीय आपदा आ जाए जैसे 1991-92, 2000, 2008/2009 और साल 2020 में आई, तो सोना काफी अच्छा परफॉर्म करता है।

फिजिकल गोल्ड से बचें
फिजिकल गोल्ड (Physical Gold) खरीदने का नुकसान यह है कि मेकिंग और डिजाइनिंग चार्जेज के चलते यह अधिक महंगा हो जाता है। इसे आप लॉकर आदि में रखते हो तो आपको उस पर भी पैसा खर्च करना पड़ेगा। साथ ही फिजिकल गोल्ड को बेचना भी महंगा है, क्योंकि यह पूरी तरह प्योर गोल्ड (Pure Gold) नहीं होता है। इसके अलावा आपको अपने पास इसका प्यूरिटी सर्टिफिकेट भी रखना होगा। कुछ परिस्थितियों में, आपने यह कहां से खरीदा इस पर भी सवाल उठ सकते हैं।

किस तरह खरीदा जा सकता है सोना?
सोने को फिजिकल फॉर्मेट और इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में खरीदा जा सकता है। आप कई एप्स के माध्यम से डिजिटल गोल्ड खरीद सकते हैं। इसके बाद कई गोल्ड म्यूचुअल फंड्स आते हैं। गोल्ड ईटीएफ की बात करें, तो इसके जरिए आप अपने डीमैट अकाउंट से भी सोना खरीद सकते हैं। इसके बाद आता है सॉवरेन गोल्ड बांड। सॉवरेन गोल्ड बांड कुछ अवधि के लिए ही उपलब्ध रहता है। भारतीय रिजर्व बैंक हर एक से दो महीने में इश्यू लेकर आता है, जिसमें आप सॉवरेन गोल्ड बांड खरीद सकते हैं। इन इश्यू या buying windows की लिस्ट आपको आरबीआई की वेबसाइट पर मिल जाएगी। यह विंडो पांच दिनों के लिए खुली रहती है।

कितना है जोखिम?
फिजिकल गोल्ड में चोरी हो जाने, क्वालिटी के साथ छेड़छाड़, मेकिंग प्रोसेस के साथ थोड़ा कम हो जाने सहित कई छोटे-बड़े इश्यूज होते हैं। डिजिटल गोल्ड के साथ बड़ा जोखिम नियामकीय स्तर पर कमी है। यहां कोई सेबी नहीं है, कोई आरबीआई नहीं है या कोई भी अन्य रेगूलेटरी बॉडी नहीं है, जो इन कंपनियों के मामलों को देखे। रेगूलेशन की कमी डिजिटल गोल्ड के लिए एक बड़ा माइनस पॉइंट है। गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेट फंड्स या गोल्ड ईटीएफ ऐसे इंस्ट्रूमेंट्स हैं, जो फिजिकल गोल्ड द्वारा समर्थित हैं। ईटीएफ सीधे रूप से सोने या सोने के खनन और रिफाइनिंग कंपनियों में निवेश करता है। गोल्ड ईटीएफ के लिए यह एक बड़ा प्लस पॉइंट है, क्योंकि यह फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट वास्तविक सोने से समर्थित है। वहीं, एक गोल्ड म्यूचुअल फंड सीधे रूप से ईटीएफ का विस्तार है.. क्योंकि अधिकांश गोल्ड म्यूचुअल फंड्स कई सारे गोल्ड ईटीएफ में निवेश करते हैं। गोल्ड इटीएफ और गोल्ड म्यूचुअल फंड्स के बारे में एक अच्छा पॉइंट यह है कि ये दोनों प्रोडक्ट्स सेबी की निगरानी के साथ आते हैं। इसके अलावा सॉवरेन गोल्ड बांड के साथ रिस्क बहुत ही कम है। यहां जोखिम तब है, जब भारत सरकार सॉवरेन गारंटी में डिफॉल्ट हो जाए।

टैक्स के बारे में जरूर जान लें
जब आपका इन्वेस्टमेंट मैच्योर होता है या जब आप बिक्री करते हैं, उस समय आपको टैक्स देना होता है। फिजिकल गोल्ड, डिजिटल गोल्ड, गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड म्यूचुअल फंड्स की बिक्री से मिले कैपिटल गेन पर टैक्स लगता है। यह टैक्स आपके होल्डिंग पीरियड पर निर्भर करता है। अगर सोने को तीन साल के अंदर मुनाफे के साथ बेचा जाता है, तो इस पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा। इसका मतलब है कि मुनाफा आपकी आय में जुड़ जाएगा और इस पर आपके इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगेगा। अगर सोना तीन साल के बाद मुनाफे पर बेचा जाता है, तो इस पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा। इस मामले में आपका लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स इंडेक्सेशन बेनिफिट्स के साथ 20 फीसद होगा। सॉवरेन गोल्ड बांड से प्राप्त हुआ सारा ब्याज आपकी आय में जुड़ता है, और इस पर आपके इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगता है। वहीं, अगर सॉवरेन गोल्ड बांड आठ साल बाद रिडीम किया जाता है, तो सारा कैपिटल गेन पूरी तरह टैक्स फ्री होता है।

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