
भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में सरकार और समाज द्वारा अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। इनमें से “स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत” अभियान एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य स्वच्छता और स्वास्थ्य को राष्ट्रीय प्राथमिकता बनाना है। किसी भी राष्ट्र की प्रगति में उसके नागरिकों की सक्रिय भागीदारी अत्यंत आवश्यक होती है। भारत जैसे विशाल और विविधता से भरे देश में यह अभियान तभी सफल हो सकता है, जब जनमानस इसे आत्मसात करे और इसे अपनी जिम्मेदारी समझे। स्वच्छता और स्वास्थ्य केवल व्यक्तिगत लाभ तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये सामाजिक और आर्थिक विकास के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। जब नागरिक स्वच्छता और स्वास्थ्य के प्रति सचेत होंगे, तब एक सशक्त, समृद्ध और विकसित भारत की नींव मजबूत होगी। विकसित भारत की कल्पना में शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार में सुधार के साथ-साथ तकनीकी और वैज्ञानिक प्रगति भी शामिल है। इसके अलावा, बुनियादी ढांचे का विकास, सामाजिक सुधार, और सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण भी महत्वपूर्ण हैं। इस लेख में हम “स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत” अभियान में जनमानस की उपयोगिता और महत्व पर विस्तृत चर्चा करेंगे।
स्वच्छता और स्वास्थ्य का आपसी संबंध
स्वच्छता और स्वास्थ्य एक-दूसरे के पूरक हैं। यदि हमारा वातावरण स्वच्छ रहेगा, तो बीमारियों का प्रकोप कम होगा और नागरिकों का स्वास्थ्य बेहतर रहेगा। निम्नलिखित बिंदुओं से यह स्पष्ट होता है कि स्वच्छता और स्वास्थ्य का क्या संबंध है:
संक्रमण और बीमारियों की रोकथाम- गंदगी और खुले में शौच जैसी अस्वच्छ आदतें डायरिया, मलेरिया, डेंगू, और टाइफाइड जैसी बीमारियों को जन्म देती हैं। यदि हम सफाई का ध्यान रखें, तो इन बीमारियों को रोक सकते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव– स्वच्छ वातावरण न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक है। गंदगी और अव्यवस्थित माहौल तनाव और अवसाद को जन्म देते हैं, जबकि स्वच्छता मानसिक शांति और सकारात्मकता को बढ़ावा देती है।
पर्यावरण संरक्षण– स्वच्छता से जल, वायु और मिट्टी प्रदूषण कम होता है, जिससे प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण होता है और पारिस्थितिक संतुलन बना रहता है।
समाज में जागरूकता और अनुशासन– जब नागरिक स्वच्छता का पालन करते हैं, तो उनके भीतर सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना विकसित होती है, जिससे समाज में अनुशासन और जागरूकता बढ़ती है।
“स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत” अभियान की आवश्यकता
भारत एक तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, लेकिन अभी भी स्वच्छता और स्वास्थ्य से संबंधित कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं। इस अभियान की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से महत्वपूर्ण है:
खुले में शौच की समस्या– भारत में खुले में शौच एक बड़ी समस्या थी, जिससे जल स्रोतों का दूषित होना और बीमारियों का फैलना आम था। इस अभियान के तहत करोड़ों शौचालयों का निर्माण किया गया, जिससे स्थिति में सुधार हुआ।
कचरा प्रबंधन की समस्या– भारत में कचरा प्रबंधन एक गंभीर समस्या है। प्लास्टिक कचरे और बिना नष्ट होने वाले अपशिष्ट पदार्थों के कारण पर्यावरणीय संकट उत्पन्न हो रहा है। नागरिकों की भागीदारी से कचरे के सही निपटान की प्रक्रिया को सुगम बनाया जा सकता है।
पीने के पानी की स्वच्छता– जलजनित बीमारियाँ भारत में एक प्रमुख स्वास्थ्य संकट हैं। यदि नागरिक साफ पानी का उपयोग करें और जल स्रोतों को दूषित होने से बचाएँ, तो इसका सीधा प्रभाव स्वास्थ्य पर पड़ेगा।
शहरों और गांवों में स्वच्छता का अंतर– ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वच्छता को लेकर असमानता है। जनमानस की भागीदारी से इस असमानता को दूर किया जा सकता है।
जनमानस की उपयोगिता और भूमिका
“स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत” अभियान की सफलता जनमानस की भागीदारी पर निर्भर करती है। सरकार केवल योजनाएँ बना सकती है, लेकिन इन्हें प्रभावी रूप से लागू करने के लिए नागरिकों का सहयोग अनिवार्य है। जनमानस की उपयोगिता और भूमिका को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है:
1. व्यक्तिगत स्तर पर योगदान
घर और आसपास की सफाई बनाए रखना।
कूड़ा-कचरा कूड़ेदान में डालना और कचरे का उचित निपटान सुनिश्चित करना।
खुले में शौच न करने और दूसरों को भी ऐसा न करने के लिए प्रेरित करना।
जल स्रोतों को स्वच्छ बनाए रखना और पानी की बर्बादी को रोकना।
2. सामुदायिक स्तर पर भागीदारी
स्थानीय स्तर पर सफाई अभियानों में भाग लेना।
अपने मोहल्ले, कॉलोनी, गाँव या शहर में स्वच्छता को बढ़ावा देना।
स्वच्छता अभियान के बारे में जागरूकता फैलाना।
सार्वजनिक स्थानों जैसे स्कूल, पार्क, बाजार, अस्पताल आदि की सफाई में योगदान देना।
3. शैक्षिक संस्थानों में भागीदारी
स्कूलों और कॉलेजों में स्वच्छता पर जागरूकता अभियान चलाना।
बच्चों को स्वच्छता की आदतें सिखाना और उन्हें सफाई का महत्व समझाना।
छात्रों को स्वच्छता संबंधी परियोजनाओं में भाग लेने के लिए प्रेरित करना।
4. सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग
सोशल मीडिया के माध्यम से स्वच्छता अभियान को बढ़ावा देना।
गंदगी फैलाने वालों को जिम्मेदारी का एहसास दिलाना और सफाई के प्रति सकारात्मक संदेश फैलाना।
नागरिकों को स्वच्छता से जुड़ी अच्छी आदतों को अपनाने के लिए प्रेरित करना।
सरकार और जनमानस के बीच सहयोग
“स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत” अभियान को सफल बनाने के लिए सरकार और जनमानस के बीच सहयोग आवश्यक है। सरकार ने इस दिशा में अनेक प्रयास किए हैं:
स्वच्छ भारत मिशन (2014)– इस अभियान के तहत शौचालयों का निर्माण, कचरा प्रबंधन और स्वच्छता पर जागरूकता बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर कार्य किया गया।
स्वच्छ विद्यालय अभियान– स्कूलों में स्वच्छता सुविधाओं को बेहतर बनाने और छात्रों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के लिए यह अभियान चलाया गया।
स्वच्छता सर्वेक्षण– यह एक वार्षिक प्रतियोगिता है, जो शहरों को स्वच्छता के आधार पर रैंकिंग प्रदान करती है, जिससे नागरिकों को प्रेरित किया जाता है।
स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों की स्थापना– सरकार ने प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के लिए देशभर में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर स्थापित किए हैं। लेकिन सरकार के इन प्रयासों को तभी सफलता मिलेगी जब नागरिक भी अपनी जिम्मेदारी समझेंगे और सफाई को अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाएँगे।
“स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत” के साथ विकसित भारत की कल्पना करने के लिए, हमें निम्नलिखित पहलुओं पर ध्यान देने से हम विकसित भारत की कल्पना को हासिल कर सकते हैं और “स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत” का लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं।
I. स्वच्छता और स्वास्थ्य: स्वच्छता और स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए हमें स्वच्छ भारत अभियान जैसी पहलों को बढ़ावा देना होगा।
II. शिक्षा और रोजगार: शिक्षा और रोजगार में सुधार के लिए हमें नई शिक्षा नीति जैसी पहलों को लागू करना होगा।
III. तकनीकी और वैज्ञानिक प्रगति: तकनीकी और वैज्ञानिक प्रगति के लिए हमें अनुसंधान और विकास में निवेश करना होगा।
IV. बुनियादी ढांचे का विकास: बुनियादी ढांचे का विकास करने के लिए हमें परिवहन, ऊर्जा, और संचार प्रणालियों में निवेश करना होगा।
“स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत” अभियान केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हर नागरिक की सहभागिता से ही यह सफल हो सकता है। एक स्वच्छ और स्वस्थ भारत न केवल लोगों के जीवन स्तर को ऊँचा उठाएगा, बल्कि देश को आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय दृष्टि से भी मजबूत बनाएगा। जनमानस की भागीदारी के बिना यह अभियान अधूरा है। हर व्यक्ति जब विकसित भारत की कल्पना करना और उसे हासिल करना एक बड़ा लक्ष्य है, जिसमें “स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत” का महत्वपूर्ण योगदान है। यह न केवल हमारे देश की स्वच्छता और स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करेगा, बल्कि यह हमारे समाज को भी मजबूत बनाएगा। अपने स्तर पर स्वच्छता और स्वास्थ्य को प्राथमिकता देगा, तभी भारत एक विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ सकेगा। इस अभियान को एक आंदोलन का रूप देने के लिए हमें “स्वच्छता मेरी जिम्मेदारी” का संकल्प लेना होगा। जब हर नागरिक अपने दायित्व को समझेगा, तब ही एक स्वच्छ, स्वस्थ और समृद्ध भारत का सपना साकार होगा।
डॉ प्रमोद कुमार
डिप्टी नोडल अधिकारी, MyGov
डॉ भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा