लेख

‘साइकिल से विकास का संकल्प: स्वच्छ भारत–स्वस्थ भारत के मार्ग पर डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा की अनूठी पहल’

डॉ प्रमोद कुमार

भूमिका : विकसित भारत लक्ष्य–2047 की पृष्ठभूमि

भारत आज जिस ऐतिहासिक संक्रमणकाल से गुजर रहा है, उसकी दिशा और दशा दोनों ही भविष्य की विश्व राजनीति, अर्थव्यवस्था और समाज व्यवस्था को गहराई से प्रभावित करेंगी। स्वतंत्रता के सौ वर्ष पूरे होने पर, 2047 तक, भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रस्तुत किया है। यह केवल आर्थिक उन्नति तक सीमित दृष्टि नहीं है, बल्कि सामाजिक समानता, स्वच्छता, स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण और सतत विकास को समाहित करने वाली समग्र अवधारणा है। विकसित राष्ट्र बनने की यह यात्रा तभी संभव होगी जब शिक्षा संस्थान समाज की धड़कनों को समझें और जन-जन तक पहुँचें।

भारत वर्ष आज जिस ऐतिहासिक मोड़ पर खड़ा है, वहाँ उसका लक्ष्य केवल आर्थिक समृद्धि तक सीमित नहीं है, बल्कि एक ऐसे समावेशी, स्वस्थ और स्वच्छ समाज का निर्माण करना है जो विकसित राष्ट्र की संकल्पना को साकार कर सके। माननीय प्रधानमंत्री भारत सरकार का ‘विकसित भारत लक्ष्य-2047’ इसी भविष्य दृष्टि का प्रतीक है। इस महान लक्ष्य को सफलतापूर्वक प्राप्त करने के लिए देशभर के शैक्षिक संस्थान अपनी-अपनी भूमिका निभा रहे हैं। इसी श्रृंखला में डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा ने अपनी ऐतिहासिक परंपरा, सामाजिक उत्तरदायित्व और नवाचारपूर्ण दृष्टि का परिचय देते हुए 19 और 20 सितंबर 2025 को 160 किलोमीटर लंबी दो दिवसीय साइकिल यात्रा का सफल आयोजन किया जो एक जीवंत उदाहरण के रूप में सामने आती है।

यह यात्रा केवल एक खेलकूद या स्वास्थ्य अभियान नहीं थी, बल्कि यह एक समाज चेतना यात्रा थी, जिसने ग्रामीण और शहरी भारत को जोड़ने का कार्य किया। ‘स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत’ का संदेश देने के साथ-साथ इस यात्रा ने शिक्षा संस्थानों, विद्यालयों और महाविद्यालयों तक पहुँचकर सामाजिक बुराइयों जैसे नशाखोरी और दहेज प्रथा पर भी चोट की।

इस लेख में हम इस अनूठी पहल की पृष्ठभूमि, प्रेरणाएँ, आयोजन, सहभागी वर्ग, सामाजिक व सांस्कृतिक प्रभाव, आलोचनात्मक विश्लेषण और भविष्य की दिशा का विस्तार से विवेचन करेंगे।

अध्याय 1 : प्रेरणा और नेतृत्व का सूत्रधार

माननीय प्रधानमंत्री भारत सरकार के अभूतपूर्व लक्ष्य ‘विकसित भारत लक्ष्य-2047’ को सफलतापूर्वक प्राप्त करने करने और भारत को विकसित राष्ट्र बनाने हेतु उत्तर प्रदेश की महामहिम राज्यपाल महोदया व आदरणीय कुलाधिपति श्री आनंदीबेन पटेल जी की प्रेरणा से डॉ भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा की कुलगुरु आदरणीय कुलपति महोदया प्रो आशू रानी जी के सकारात्मक निर्णय व मार्गदर्शन से विश्वविद्यालय के डीन एकेडमिक, चीफ प्रॉक्टर व आईटी संस्थान के निदेशक महोदय प्रो मनुप्रताप सिंह जी के नेतृत्व में 160 किलोमीटर दो दिवसीय साइकिल यात्रा दिनांक 19 से 20 सितंबर 2025 को आगरा व मथुरा जिले के शहरीय व ग्रामीण क्षेत्रों के शैक्षिकण संस्थानों (प्राथमिक विद्यालय, कस्तूरबा गांधी विद्यालय, महाविद्यालयों) में भ्रमण करने हुए ‘स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत’ के तहत का सफल आयोजन किया गया। दो दिवसीय 160 किलोमीटर लंबी साइकिल यात्रा में विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों, शिक्षकों, शिक्षणोत्तर कर्मचारियों, प्रशासनिक अधिकारियों व आगरा व मथुरा जिले के समाजसेवियों ने बढ़चढकर हिस्सा लिया और यात्रा के दौरान जगह-जगह सभी साइकिल यात्रियों का गर्मजोशी से भव्य स्वागत व सत्कार किया गया। साइकिल यात्रियों द्वारा जगह-जगह रुककर चाहे विद्यालय हो या महाविद्यालय अथवा चौहराये व चौपाल पर ‘स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत’ के साथ-साथ और समाज व्याप्त सामाजिक बुराइयों जैसे नशाखोरी, दहेज प्रथा इत्यादि पर अपने विचार रखे और लोगों को जागरूक किया।

1.1 महामहिम राज्यपाल का मार्गदर्शन

उत्तर प्रदेश की महामहिम राज्यपाल और विश्वविद्यालय की कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने सदैव शिक्षा को समाजोत्थान का मूल मंत्र माना है। उनकी प्रेरणा से यह विचार साकार हुआ कि विश्वविद्यालय केवल ज्ञान के प्रसारक न रहें, बल्कि जन-जागरण के वाहक भी बनें।

1.2 कुलपति का निर्णय और दृष्टि

डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. आशू रानी ने इस विचार को ठोस रूप देने का साहस दिखाया। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन, संकाय सदस्यों और छात्रों को इस अभियान में शामिल करके एक समन्वित नेतृत्व का परिचय दिया।

1.3 आयोजन की धुरी – प्रो. मनुप्रताप सिंह

डीन एकेडमिक, चीफ प्रॉक्टर और आईटी संस्थान के निदेशक प्रो. मनुप्रताप सिंह ने पूरी साइकिल यात्रा का प्रबंधन, संचालन और नेतृत्व किया। उनका यह प्रयास साबित करता है कि यदि नेतृत्व दूरदर्शी हो तो सीमित संसाधनों से भी बड़े सामाजिक संदेश दिए जा सकते हैं।

अध्याय 2 : आयोजन का स्वरूप और संरचना

2.1 तिथि और मार्ग

तिथि: 19–20 सितंबर 2025

मार्ग: आगरा और मथुरा जिलों के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र

दूरी: 160 किलोमीटर

2.2 सहभागी वर्ग

विश्वविद्यालय के छात्र और छात्राएँ

शिक्षकगण

शिक्षणोत्तर कर्मचारी

प्रशासनिक अधिकारी

स्थानीय समाजसेवी

2.3 यात्रा की विशेषता

यह यात्रा केवल विश्वविद्यालय परिसर तक सीमित नहीं रही, बल्कि गाँव-गाँव और चौपाल-चौपाल तक पहुँची।

हर पड़ाव पर संवाद, स्वागत और विचार-विमर्श का आयोजन हुआ।

अध्याय 3 : उद्देश्यों की स्पष्टता

1. स्वच्छ भारत–स्वस्थ भारत अभियान को गति देना।

2. छात्रों को समाज सेवा और राष्ट्र निर्माण के मूल्य समझाना।

3. नशाखोरी, दहेज प्रथा और अन्य सामाजिक बुराइयों पर प्रहार करना।

4. शैक्षिक संस्थानों को जनचेतना के केंद्र में परिवर्तित करना।

5. विकसित भारत लक्ष्य–2047 की संकल्पना को जन-जन तक पहुँचाना।

अध्याय 4 : यात्रा के पड़ाव और गतिविधियाँ

4.1 विद्यालयों में संवाद

प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में छात्र-छात्राओं को बताया गया कि स्वच्छता केवल पर्यावरण का विषय नहीं, बल्कि स्वास्थ्य और जीवन शैली का आधार है।

4.2 महाविद्यालयों में जागरूकता

महाविद्यालय के युवाओं से संवाद में नशाखोरी के दुष्प्रभाव, दहेज प्रथा के सामाजिक संकट और नैतिक मूल्यों की आवश्यकता पर चर्चा की गई।

4.3 चौपाल और चौहराये पर चर्चा

ग्रामीण समाज के लिए चौपाल वह स्थान है जहाँ विचार-विमर्श और निर्णय होते हैं। यहाँ साइकिल यात्रियों ने सरल भाषा में नशा, दहेज और स्वच्छता पर चर्चा की और लोगों से संकल्प दिलवाए।

4.4 स्वागत और सत्कार

यात्रा के हर चरण पर स्थानीय समाज ने यात्रियों का भव्य स्वागत किया। यह केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि समाज के साथ विश्वविद्यालय की घनिष्ठता का प्रतीक था।

अध्याय 5 : रचनात्मक महत्व

1. युवा शक्ति का सकारात्मक उपयोग:
छात्रों ने अपनी ऊर्जा समाज सुधार में लगाई।

2. शिक्षा का वास्तविक विस्तार:
विश्वविद्यालय का ज्ञान पुस्तकों से निकलकर जनता तक पहुँचा।

3. साइकिल का प्रतीकवाद:
साइकिल पर्यावरण संरक्षण, स्वास्थ्य और श्रमशीलता का प्रतीक है।

4. सामाजिक संवाद:
इस यात्रा ने जनता और शिक्षाविदों के बीच की दूरी कम की।

अध्याय 6 : आलोचनात्मक दृष्टि

1. सीमित भौगोलिक दायरा:
यात्रा केवल आगरा और मथुरा तक सीमित रही।

2. निरंतरता का अभाव:
यदि इसे परंपरा नहीं बनाया गया, तो प्रभाव अल्पकालिक रह जाएगा।

3. सामाजिक समस्याओं की गहराई:
नशा और दहेज जैसी बुराइयों पर केवल संवाद पर्याप्त नहीं; नीतिगत हस्तक्षेप भी आवश्यक है।

4. मीडिया प्रचार का अभाव:
इस पहल को राष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित करने की आवश्यकता थी।

अध्याय 7 : विकसित भारत लक्ष्य–2047 से संबंध

स्वच्छ और स्वस्थ समाज ही मानव संसाधन विकास की नींव है।

नशा और दहेज पर रोक लगाकर ही समानता और न्याय आधारित समाज बन सकता है।

शिक्षा संस्थानों की यह भूमिका भारत को समावेशी, प्रगतिशील और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने की दिशा में एक ठोस कदम है।

अध्याय 8 : भविष्य की दिशा और संभावनाएँ

1. इस तरह की यात्राओं को नियमित कार्यक्रम बनाया जाए।

2. अन्य विश्वविद्यालयों और विद्यालयों को भी इसमें शामिल किया जाए।

3. डिजिटल माध्यमों से इसका प्रसार किया जाए।

4. विश्वविद्यालयों को स्थानीय विकास योजनाओं से जोड़ा जाए।

5. छात्र-छात्राओं को ‘जन-जागरण राजदूत’ के रूप में प्रशिक्षित किया जाए।

डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा द्वारा आयोजित 160 किलोमीटर लंबी दो दिवसीय साइकिल यात्रा वास्तव में एक ऐतिहासिक और प्रेरणादायी पहल सिद्ध हुई। यह केवल एक साधारण यात्रा नहीं थी, बल्कि विकसित भारत लक्ष्य–2047 के संकल्प को साकार करने की दिशा में समाज और शिक्षा जगत के बीच सेतु निर्माण का अद्भुत प्रयास था। विश्वविद्यालय की यह दो दिवसीय साइकिल यात्रा केवल एक स्वास्थ्य अभियान नहीं थी, बल्कि यह विकसित भारत लक्ष्य–2047 की दिशा में एक मील का पत्थर सिद्ध हुई। इसने यह स्पष्ट किया कि यदि शैक्षिक संस्थान अपनी सामाजिक भूमिका को गंभीरता से निभाएँ, तो वे समाज की बदलावकारी शक्ति बन सकते हैं।
महामहिम राज्यपाल व कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल जी की प्रेरणा, कुलपति प्रो. आशू रानी जी के सकारात्मक मार्गदर्शन और प्रो. मनुप्रताप सिंह जी के नेतृत्व में यह आयोजन इस बात का प्रतीक है कि विश्वविद्यालय जब कक्षाओं की सीमाओं से बाहर निकलकर समाज के बीच सक्रिय भूमिका निभाते हैं, तभी शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य साकार होता है।

इस यात्रा ने ‘स्वच्छ भारत–स्वस्थ भारत’ का संदेश घर-घर और गाँव-गाँव पहुँचाया। साथ ही, समाज में व्याप्त नशाखोरी और दहेज जैसी कुरीतियों पर भी तीखा प्रहार किया। विद्यार्थियों, शिक्षकों, अधिकारियों और समाजसेवियों की सामूहिक भागीदारी ने यह सिद्ध कर दिया कि यदि समाज और शिक्षा संस्थान एकजुट हों, तो कोई भी बुराई टिक नहीं सकती।

यह साइकिल यात्रा केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि एक जनचेतना का आंदोलन थी, जिसने यह स्पष्ट कर दिया कि विकसित भारत का सपना केवल सरकारी नीतियों से नहीं, बल्कि जनता और युवाओं की सक्रिय भागीदारी से ही संभव है। इस प्रकार, यह पहल आने वाली पीढ़ियों के लिए अनुकरणीय आदर्श बनेगी और भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देगी।

‘स्वच्छ भारत–स्वस्थ भारत’ के संदेश के साथ-साथ इस यात्रा ने नशाखोरी और दहेज प्रथा जैसी सामाजिक बुराइयों को चुनौती दी और शिक्षा को जनचेतना का माध्यम बनाया। यदि ऐसे प्रयास निरंतर जारी रहें, तो भारत का विकसित राष्ट्र बनने का सपना केवल संकल्प न रहकर साकार वास्तविकता बन जाएगा।

डॉ प्रमोद कुमार
डिप्टी नोडल अधिकारी, MyGov
डॉ भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा

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